यूँ तो आपने कई बार शून्य बिजली बिल तो सुना ही होगा, लेकिन बिल माइनस में आ जाए क्या ऐसा कभी किसे कहते हुए सुना हैं। नहीं ना.....! बता दे कि यह तभी होता है जब आप पहले से ज्यादा पैसा दे चुके हैं। लेकिन यूरोप का एक देश इन दिनों अजीबो-गरीब समस्या से जूझ रहा है।
यहां स्वच्छ बिजली इतनी ज्यादा पैदा होने लगी है कि ऊर्जा की कीमतें शून्य से नीचे यानी माइनस में चली गई हैं। सुनने में काफी अजीब लग रहा होगा लेकिन यह सच हैं। अधिकारियों को ये समझ ही नहीं आ रहा कि इससे आखिर निपटा तो निपटा कैसे जाए।
हम बात कर रहे हैं यूक्रेन के में स्थित शहर फिनलैंड की। यूक्रेन युद्ध की वजह से जब पूरा यूरोप ऊर्जा संकट से जूझ रहा है। कीमतें आसमान छू रही हैं, ऐसे समय में फिनलैंड में रिन्यूएबल एनर्जी प्रचूर मात्रा में पैदा हो रही है। फ़िनलैंड के ग्रिड ऑपरेटर फ़िंगरिड के सीईओ जुक्का रुसुनेन ने बताया कि इतनी ज्यादा बिजली पैदा होने लगी है कि औसत ऊर्जा मूल्य शून्य से नीचे या मानइस में चला गया है। आमतौर पर ऐसा नहीं होता. लोग बिजली के बिल का भुगतान करते हैं, लेकिन फिनलैंड के लिए यह अजीबोगरीब समस्या है।
जानिए आखिर कैसे आया यह बदलाव?
आज यूक्रेन का हाल कैसा हैं इस बात से तो सभी बखूबी रूप से वखिफ हैं। दरअसल, यूक्रेन संकट के बाद जब पूरी दुनिया में ऊर्जा की कीमतें बेतहासा बढ़ने लगीं तो फिनलैंड ने भी अपने देश के नागरिकों को बिजली सोच समझकर खर्च करने को कहा। कई बार इसके लिए आदेश जारी किए गए। फिर लगा कि यह अंतिम विकल्प नहीं हो सकता। तब फिनलैंड ने रिन्यूएबल एनर्जी का सहारा लिया, खूब निवेश किया। जगह जगह इसके प्लांट बिठा दिए गए। हालात यह हो गई कि कुछ ही महीनों में जरूरत से काफी ज्यादा बिजली पैदा होने लगी। उत्पादन में कटौती करने तक की नौबत आ गई। अधिकारियों के मुताबिक, बिना प्रदूषण अब पर्याप्त बिजली है। अब हम इसे बेचने के बारे में सोच रहे हैं।
उत्पादन में कमी लाने पर विचार
इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक, रुसुनेन ने कहा-पिछली सर्दियों में लोग केवल यही बात कर सकते थे कि अधिक बिजली कहां से आएगी। अब हम इस बारे में सोच रहे हैं कि उत्पादन को कम कैसे किया जाए। हम अति पर चले गए हैं। फिनलैंड की आबादी तकरीबन 55 लाख है। इसी साल अप्रैल में एक नया परमाणु रिएक्टर भी यहां शुरू हुआ है। सरकार ने पहले ही हालात को देखते हुए बिजली की कीमतों में 75 फीसदी तक की कटौती कर दी है। पहले जहां 245 यूरोप प्रति मेगावाट का बिल आता था, लेकिन अप्रैल में इसे सिर्फ 60 मेगावाट कर दिया गया था। अब समझ नहीं आ रहा कि ज्यादा बिजली का क्या किया जाए।