हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी की पूजा का विधान शुक्रवार के दिन बताया गया है। धन की देवी लक्ष्मी मां को माना जाता है। धन-धान्य, वैभव और सुख-समृद्धि का आगम घर में इनकी पूजा अर्चना से होता है। मान्यता है कि उनका जीवन सुखमय हो जाता है जिन भक्तों पर मां लक्ष्मी का आर्शीवाद होता है। भगवान विष्णु की पूजा भी माता लक्ष्मी के साथ शुक्रवार के दिन करनी चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि मनोकामनाएं भी भक्तों की सभी लक्ष्मी माता को पुष्प अर्पित करने से होती हैं। मान्यताओं के मुताबिक कमल का फूल शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी को समर्पित करें। हालांकि गुलाबी रंग के फूल माता लक्ष्मी की पूजा में इस्तेमाल करना शुभ होता है।
माता लक्ष्मी को भोग लगाने से भक्तों की मनचाही मुरादें पूर्ण होती हैं। साथ ही माता भी प्रसन्न हो जाती हैं। सात्विक भोजन का भोग भी माता लक्ष्मी को आप अपनी इच्छानुसार भी लगा सकते हैं। ध्यान रखें कुछ मीठा जरूर भोग में शामिल करें। हलवा, खीर का भोग अगर संभव हो सके तो लगा दें।
मान्यताओं के मुताबिक,गुलाबी रंग पर भी देवी अष्ट लक्ष्मी की प्रतिमा को रखें। इसके अलावा श्रीयंत्र भी मां की प्रतिमा के साथ जरूर रखें। वहीं गाय के घी के 8 दीपक पूजा की थाल में जलाएं और मां के आगे मावे की बर्फी का भोग गुलाब वाली सुगंध की धूपबत्ती जलाकर लगाएं।
जिन 8 दीपकों को आपने पूजा की थाली में रखा उन्हें बाद में घर की आठ दिशाओं में रख दें। जबकि तिजोरी के अंदर कमल गट्टे की माला को रखें। उसके बाद माता से माफी मांगे पूजा के दौरान जाने-अंजाने में हुई भूल की मांगे साथ ही अपने ऊपर माता की कृपा दृष्टि के लिए उनसे विनती करें। ऐसा करने से सुख-समृद्धि,धन व ऐश्वर्य की वृद्धि आपके जीवन में बनी रहेगी।
श्रीयंत्र और अष्टलक्ष्मी की प्रतिमा पर माता लक्ष्मी की पूजा के दौरान अष्ट गंध से तिलक करें। उसके बाद ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा मंत्र का जाप कमल गट्टे की माला से करें। 108 बार इस मंत्र का जाप पूरी श्रद्धा और विश्वास से करना चाहिए।