गुरु नानक जंयती कार्तिक मास के शुुक्ल पक्ष की पर्णिमा के दिन मनाते हैं। सिख धर्म के प्रथम गुरु नानकदेव का जन्म इस दिन हुआ था। बहुत धूम धाम से गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस को मनाया जाता है। सिख धर्म के संस्थापक के तौर पर भी गुरु नानक देवी जी को जाना जाता है।
550वीं जयंती 12 नवंबर को गुरु नानक देव की इस साल मनाई जाएगी। दार्शनिक, समाज सुधारक,कवि, गृ हस्थ, योगी और देशभक्त के तौर पर गुरु नानक देव जी ने काम किया था। इनका जन्मोत्सव जानिए कैसे मनाया जाता है-
गुरु नानक देव जी कौन थे?
गुरु नानक देव जी को सिख धर्म का पहला गुरु कहा जाता है। गुरु नानक देवी जी ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी। धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि गुरु नानक देव जी का जन्म 1526 में कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि सांसारिक कामों में नानक साहिब का मन बचपन से नहीं लगता था।
ईश्वर की भक्ति और सत्यंग में ज्यादा गुरु नानक देव जी रहते थे। उनका स्कूल महज 8 साल की उम्र में छूट गया था। गुरु नानक देव जी का समर्पण भगवान के प्रति इतना ज्यादा था जिसके बाद दिव्य पुरुष लोगों ने इन्हें मान लिया।
गुरु नानक जयंती कैसे मनाई जाती है?
गुरु नानक जयंती पर शब्द-कीर्तन गुरुद्वारों में करते हैं। इस दिन लंगरों का आयोजन जगह होता है। लोग इस दिन अपने घरों और गुरुद्वारों में गुरुबाणी का पाठ करते हैं। जुलूस एवं शोभा यात्राएं इस दिन निकलती हैं। हाथी, घोड़ों आदि के साथ इस जुलूस में नानकदेव के जीवन से जुड़ी झांकियां बैंड बाजों के साथ निकालते हैं।
विशाल नगर कीर्तन गुरु नानकदेव जी की जयंती पर निकालते हैं। फूलों की पालकी से सजे वाहन पर श्री गुरुग्रंथ साहिब को सुशोभित करते हैं और वह अलग-अलग जगहों से होता हुआ कीर्त गुरुद्वारे पहुंचता है। कई जगहों पर प्रभातफेरी भी इस दिन निकाली जाती है। कीर्तनी जन्थे कीर्तन कर संगत को प्रभातफेरी के दौरान निहाल करते हैं।
ये हैं गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं-
एक हैं परमपिता परमेश्वर।
न कोई हिंदू है, न कोई मुसलमान है, सभी मनुष्य हैं और सभी समान हैं।
उपासना करो हमेशा एक ईश्वर की।
खुशिखें के गीत प्रभु के लिए गाओ, सेवा करो प्रभु के नाम की और प्रभु के सेवकों के सेवक बन जाओ।
मैं ना एक बच्चा हूं, ना ही एक नवयुवक हूं, ना ही मैं पौराणिक हूं और ना ही किसी जाति का हूं।
उन बड़े-बड़े राजा-महाराजों की तुलना चींटी से नहीं की जा सकती जिनके पास धन-समृद्धि है। जिनमें ईश्वर के प्रति प्रेम भरा हुआ है।
सब कुछ प्रभु की चमक के आगे प्रकाशमान है।
जिस व्यक्ति को खुद पर भरोसा नहीं होता उसे ईश्वर पर भी कभी भरोसा नहीं होता।
जो तुम्हारे लिए सम्मान लेकर आए केवल वो ही बोलो।