वो कहते है ना हिम्मत करने से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। ये कहावत बाड़मेर में कभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रही एक बेटी पर लागू होती है। जिसने ना सिर्फ अपनी मेहनत से अपने कंधों पर केवल खाकी वर्दी पहनने का गौरव हासिल किया बल्कि दो सितारे भी लगाए हैं। बाड़मेर की हेमलता जाखड़ आसपास के इलाके की पहली सब इंस्पेक्टर बनी हैं।
8 साल की एक बच्ची ने जब पहली बार पुलिसवाले को वर्दी पहने हुए देखा, तो ठान लिया कि एक दिन वह भी ऐसी रौबदार वर्दी पहनेगी। मगर वो बात अलग है कि बचपन में देखे गए सपनों को हर बार लोग महज मजाक समझ लेते हैं। थानेदार हेमलता के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उनके घरवालों ने सिर्फ 17 साल की उम्र में उनकी शादी कर दी, 21 साल की उम्र में वह मां बन गई थी।
हालांकि मां बनने के बाद भी अपने सपनें को पूरा करने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की। सबसे पहले आंगनवाड़ी एक्टिविस्ट बनकर बच्ची को पालने के साथ-साथ ग्रेजुएशन की। करीब 8 साल तक महज 3500 रुपए की नौकरी की। लोगों से कर्ज लेकर पढ़ाई की। रिश्तेदारों से ताने सुने। घरवाले-ससुराल वाले चारदीवारी में कैद करना चाहते थे, लेकिन मन में जिस वर्दी से हेमलता को 8 की उम्र में प्यार हुआ, उसे 18 साल बाद पाकर ही दम लिया।
खाकी रंग की टू-स्टार वर्दी में पुलिस अफसर बनकर अपने गांव पहुंची हेमलता जाखड़ को देख सब लोग चौंक गए। भाइयों ने कंधे पर बैठाकर पूरे गांव में घुमाया। दरअसल, सरणू चिमनजी गांव दुर्गाराम जाखड़ के घर जन्मी हेमलता जाखड़ का 7 जुलाई 2021 को एसआई पद पर चयन हो गया था। इसके बाद 9 जुलाई को राजस्थान पुलिस एकेडमी जयपुर में जॉइन कर लिया था।
तभी से हेमलता का प्रोबेशन चल रहा है। फिलहाल अजमेर में पोस्टेड हैं। बीते दिनों एसआई हेमलता वर्दी पहनकर अपने गांव आईं। भाइयों ने हेमलता को कंधों पर बैठाकर पूरे गांव में घूमाया। परिवार के लोगों व गांव वालों ने माला पहनाकर मुंह मीठा भी करवाया।
वहीं, महिलाओं ने मंगल गीत गाकर स्वागत किया गया। किसान पिता ने बेटी को साफा पहनाया तो थानेदार बेटी ने पुलिस की टोपी अपनी मां को पहना दी। वहीं मीडिया से बात करते हुए थानेदार हेमलता ने बताया कि किसान परिवार की बेटी हूं। जीवन में उतार-चढ़ाव देखे हैं। मेरे परिवार में पहली गवर्नमेंट जॉब हासिल करने वाली भी मैं पहली लड़की हूं।