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इस 200 साल पुराने हनुमान मंदिर में जिसने भी लगाई अपनी अर्जी नहीं लौटा कभी खाली हाथ, जानिए कब और कहां कर सकते हैं दर्शन

मान्यता है कि, कलयुग में जो भी इस 200 साल पुराने दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर में जाकर अपनी अर्जी लगाता है, वो बजरंगबली के दर से कभी खाली हाथ नहीं लौटता। तो जानिए कब और कहा आप इस मंदिर में जाकर अपने दुखो का निवारण पा सकते हैं।

हनुमान जयंती आज के दिन इस पावन अवसर पर हिन्दू धर्म के अनुसार अंजनी पुत्र बजरंग बली का जन्म हुआ था। हिन्दू शास्त्र में इस दिन का बेहद ही महत्व हैं। बात करे हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि, बजरंग बली अपने भक्‍तों के कष्ट को हर लेते हैं इसलिए भी उन्हें दुखभंजन भी कहा जाता हैं। साथ ही ये भी मान्यता है कि, कलयुग में जो भी भक्त हनुमान जी के सामने अर्जी लगाता है, वो बजरंगबली के दर से कभी खाली हाथ नहीं लौटता। हम बात कर रहे हैं एक ऐसे ही सिद्ध मंदिर की, जो मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के टिकारी में स्थित दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर है।
इस 200 वर्ष से ज्यादा प्राचीन मंदिर में पढ़ाई करने वाले छात्रों से लेकर सभी, परेशानियों में घिरे लोग भोज पत्र, पीपल के पत्ते या फिर अकाव के पत्तों पर अपनी अर्जी लिखकर हनुमान जी के चरणों मे अर्पित करते हैं। इसके बाद हनुमान जी उनकी मनचाही मुराद पूरी करते हैं। मंदिर की खास बात ये है कि, यहां सुबह मंदिर के पट खुलते ही सबसे पहले भगवान शनि देव हैं, हनुमान जी के दर्शन सबसे पहले भगवान शनिदेव करते हैं।
हनुमान चालीसा की पंक्तियों में कितनी शक्ति है, इसका अनुभव बैतूल के टिकारी इलाके में स्थित दक्षिण मुखी सिद्ध हनुमान दरबार में बखूबी किया जा सकता हैं। करीब 200 साल पहले एक जमीदार द्वारा मंदिर की स्थापना की गई थी। इसके बाद से ही मंदिर में पवन पुत्र हनुमान मंदिर में बैतूल जिले के लोगों की गहरी आस्था है।
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एक स्थानीय जमींदार द्वारा स्थापित इस हनुमान मंदिर में दो सदियों से लगातार हनुमान भक्तों की आस्था बनी है। सप्ताह में शनिवार और मंगलवार के दिन तो यहां भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। यहां स्थापित प्रतिमा की खासियत ये है कि यहां हनुमान जी दाएं हाथ में संजीवनी पर्वत को उठाए दिखते हैं जो अति शुभ माना गया है।
इस मंदिर के साथ एक दुर्लभ संयोग भी जुड़ा है, जो काफी विरला है। मंदिर के मुख्य द्वार के सामने एक शमी का वृक्ष है। माना जाता है कि शमी के वृक्ष में भगवान शनि का वास होता है। इसलिए सुबह जैसे ही मंदिर के पट खुलते हैं, तब हनुमान जी के प्रथम दर्शन भगवान शनि करते हैं। ऐसा माना जाता है कि, यहां हनुमान जी के दर्शन करने मात्र से लोग भगवान शनि के प्रकोप तक खत्म हो जाता है।

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