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यह मंदिर है प्रेम की निशानी, भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधा रानी और रुक्मिणी भी विराजमान

भादो माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा रानी के प्रकटोत्सव मनाया जाता है। इस बार राधाष्टमी 6 सितंबर यानी आज है।

भादो माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा रानी के  प्रकटोत्सव मनाया जाता है। इस बार राधाष्टमी 6 सितंबर यानी आज है। इस खास अवसर पर बरसाना समेत अन्य जगहों पर राधाष्टमी धूम-धाम से मनाई जा रही है। इस विशेष दिन पर आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने वाले हैं जिसे प्रेम की निशानी कहा जाता है।
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इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधा रानी और पत्नी रुक्मिणी भी विराजमान हैं। ऐसा बताया जाता है कि यह भारत का पहला ऐसा मंदिर है जहां राधा-कृष्ण और रुक्मिणी एक साथ विराजमान हैं। 
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यह मंदिर उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में है। मुरली मनोहर मंदिर के नाम से मशहूर इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण बीच में है जबकि एक ओर राधा तो दसरी तरफ उनकी पटरानी रुक्मिणी विराजमान हैं।
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ये मंदिर 1780 में बना था
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1780 में हुआ हुआ था। इस मंदिर को रानी लक्ष्मी बाई की सास सक्कू बाई ने बनवाया था। सक्कू बाई झांसी के राजा गंगाधर राव की मां थीं। ये मंदिर राजशाही परिवार की आस्था का अहम केंद्र था।इस मंदिर के साथ रानी लक्ष्मी बाई और उनका इतिहास जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि रानी लक्ष्मी बाई इस मंदिर में अपनी सास के साथ पूजा करने के लिए आती थी। अब इस मंदिर को देखने के लिए काफी दूर-दूर से लोग आते हैं। 
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वैसे देखा जाए तो ज्यादातार मंदिरों में राधा-कृष्ण ही मौजूद होते हैं। यह भारत का ही नहीं बल्कि विश्व का एक ऐसा अकेला मंदिर है,जहां पर राधा-कृष्ण के साथ रुक्मिणी भी विराजमान हैं। यहीं वजह है कि मंदिर प्रेम की निशानी के रूप में मशहूर है।

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