वैसे देखा जाए तो प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल केवल कुछ ही समय के लिए या यूं कह लोग 30 मिनट के लिए ही किया जाता है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें यह है कि प्लास्टिक को गलने में करीब 1000 साल लग जाते हैं। इसके साथ ही प्लास्टिक चंद मिनटों में ही महासागरों और पृथ्वी को प्रदूषित कर देती है।
अगर आप आज भी किसी दुकान या बाजार में चलें जाए तो भी प्लास्टिक के बैग खुलेआम धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। इतना ही नहीं समुद्र में बढ़ते हुए प्लास्टिक प्रदुषण की वजह से समुद्री जीवों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है।
10 लाख से ज्यादा प्लास्टिक बैग का उपयोग
बता दें कि आज भी कई सारे लोग इस बात से अनजान है कि हर मिनट में करीब 10 लाख प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल किया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस
7 जुलाई यानि आज है अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस। ये दिवस जागरूकता फैलाने के लिए तो घोषित कर दिया गया है लेकिन आप इस दिवस को लेकर कितना सर्तक हुए जो बढ़ते प्रदुषण और आने वाली पीढ़ी के लिए काफी ज्यादा हानिकारक है।
यह देश है प्लास्टिक प्रदूषण फैलाने में सबसे माहिर
इंडोनेशिया एक द्वीपसमूह है जहां की जनसंख्या 260 मिलियन है। यह देश चीन के बाद सबसे ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण फैलाने वाला दुनिया का दूसरा देश है। यहां पर हर साल 3.2 मिलियन टन प्लास्टिक का कचरा उत्पन्न होता है और जिसका निपटारा करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। जनरल साइंस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार इसमें से 1.29 मिलियन टन कचरा समुद्र में जाता है।
इस साल हुआ था प्लास्टिक का कम उत्पादन
साल 1950 से 1970 के बीच सबसे कम प्लास्टिक का उत्पादन किया गया था यही वजह थी कि तब प्लास्टिक प्रदुषण की रोकथाम आसान थी। इसके बाद 1990 तक दो दशकों में ही प्लास्टिक के उत्पादन में तीन गुणा की वृद्घि हो गई। वहीं पिछले 40 वर्षों के मुकाबले साल 2000 में सबसे ज्यादा प्लास्टिक का उत्पादन किया गया। आज इसका इंतजाम कुछ ऐसा है कि रोजाना 30 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन होने लगा है जो इस पूरी आबादी के वजन के मुकाबले है।
किए जा रहे हैं कई सारे प्रयास
प्लास्टिक का कम से कम उपयोग किया जाए इसका प्रयास सरकार कर रही है। दुकानदारों को भी जगरूक किया जा रहा है कि वह सामान देने के लिए प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल न करें। हर जगह छोटे बच्चे से लेकर बड़ो तक को सभी को बताया जा रहा है कि प्लास्टिक थैलियों का इस्तेमाल न करें। सरकार की तरफ से सभी तरह के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि वह साल 2025 तक प्लास्टिक के 70 फीसदी कम उपयोग करने का अपने इस उद्देश्य में सफलता हासिल कर सके। लेकिन आपको बता दें कि ये उद्देश्य किसी एक के कम करने से नहीं पूरा हो सकता है इसके लिए हम सभी लोगों को यह बात जाननी बेहद जरूरी है कि प्लास्टिक किसी एक का नहीं बल्कि हम सभी का दुश्मन है।