भगवान कृष्ण की पूजा के लिए भादो यानी भाद्रपद का महीना हिन्दू कैलेंडर में बताया गया है। इस महीने में विशेष पूजा कृष्ण भगवान की जाती है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्मदिवस यानी कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हर साल मनाते हैं। भगवान कृष्ण को माता देवकी ने इस दिन जन्म दिया था और जन्माष्टमी या कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में इसे जाना जाता है।
हालांकि दो दिन कृष्ण जन्माष्टमी इस साल मनाने का मुहूर्त निकला है। 11 अगस्त और 12 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी पड़ रही है। श्री कृष्ण के जन्म तिथि और नक्षत्र पर निर्भर होता है कि कृष्ण जन्माष्टमी के लिए कौन सी तारीख सबसे श्रेष्ठ है। चलिए आपको बताते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी किस तारीख को इस साल मनाई जा रही है।
कृष्ण जन्माष्टमी 12 अगस्त को मनाई जाएगी
हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक भाद्रपद मास में जो कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण जन्माष्टमी हर साल मनाई जाती है। हालांकि तिथि और नक्षत्र में समय का अंतर ज्योतिष गणना में कई बार होता है और इसी कारण से मतभेद तारीखों में हो जाता है।
पचांग के मुताबिक, 11 अगस्त को सुबह 09 बजकर 06 मिनट पर भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि शुरू होगी और 12 अगस्त 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। जबकि 13 अगस्त के तड़के 03 बजकर 27 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र शुरू होगा और सुबह 05 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी। इस अनुसार से कृष्ण जन्माष्टमी 12 अगस्त को मनाई जा रही है।
ये है जन्माष्टमी पूजा का समय
इस बार 43 मिनट का समय जन्माष्टमी की पूजा के लिए भक्तों को मिल रहा है। श्रीकृष्ण जन्म की पूजा आप 12 अगस्त की रात 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक कर पाएंगे।
कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी मथुरा और द्वारिका में
इस साल 12 अगस्त के दिन ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी मथुरा और द्वारिका में मनाई जाएगी। कृष्ण जन्मोत्सव एक दिन पहले यानी 11 अगस्त को बनारस, उज्जैन और जगन्नाथ पुरी में मनाया जाएगा।
ऐसे रखें जन्माष्टमी का व्रत
सभी आयु के लोग कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रख सकते हैं। अगर किसी को भी स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी है तो वह यह व्रत न रखें। भगवान कृष्ण की वह आराधना व्रत न रखकर भी कर सकते हैं। मान्यताओं के मुताबिक, व्यक्ति को बाल कृष्ण जैसी संतान जन्माष्टमी का व्रत करने से प्राप्त होती है।