कालाष्टमी का व्रत हर महीने कृष्णपक्ष की अषअटमी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत इस बार 19 दिसंबर गुुरुवार यानी आज मनाया जा रहा है। भगवान शिव का विग्रह रूप कालभैरव को माना जाता है और कालाष्टमी के दिन इनकी विशेष तौर पर पूजा करने का महत्व होता है।
शिव के पांचवें अवतार के रूप के तौर पर कालभैरव को माना गया है। शिव जी के दो रूप हैं पहला बटुक भरैव है जो भक्तों को अभय देने वाला सौम्य रूप है जबकि दूसरा काल भैरव अपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले भयंकर दंडनायक का है। जो लोग भगवान भैरव के भक्तों का बुरा करते हैं उन्हें तीनों लोकों में शरण नहीं मिलती।
मन के भय पूजा करने से दूर होते हैं
भगवान भैरव से भयभीत काल भी होता है तभी इन्हें काल भैरव एवं हाक में त्रिशूल, तलवार और डंडा होने की वजह से दंडपाणि भी कहते हैं। अगर आपके मन में भी किसी तरह का भय है तो आप विधिवत रूप से काल भैरव की पूजा करें।
ऐसा करने से आपके मन के सारे भय दूर हो जाएंगे। साथ ही सभी मनोकामना आपकी पूर्ण होगी। इतना ही नहीं जो लोग कालभैरव की पूजा करते हैं उनके आसपास नकारात्मक शक्तियां भी दूर हो जाती हैं। शत्रु बाधा और दुर्भाग्य दूर कालभैरव की पूजा करने से होता है साथ ही जीवन मे सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
ऐसे करें पूजा
भगवान भैरव के मंदिर में स्नान और ध्यान करने बाद अबीर, गुुलाल, चावल, फूल और सिंदूर जाकर अर्पित करें। नीले फूल जरूर कालभैरव को अर्पित करें इससे उनकी कृपा आप बनी रहेगी। ऐसा करने से आप पर कालाभैरव की कृपा रहेगी और मनोकामना भी पूर्ण होगी।
नींबू की माला अर्पित करें
इस दिन भगवान भैरव को काले उड़द, काले तिल और 11 रुपए काले कपड़े में रखकर चढ़ाएं। ऐसा करने से सारी नकारात्मकता दूर हो जाएंगी। भगवान भैरव को नींबू की माला कालाष्टमी के दिन अर्पित करें। ऐसा करने से आपको मनचाहा फल मिलेगा।
सिंदूर और चमेमी का तेल चढ़ाएं
भैरव बाबा की कालाष्टमी पर ऐसे पूजा करने से भक्तों के जीवन में अपार धन, यश और सफलता की प्राप्ति होती है। कालाष्टमी के दिन किसी मंदिर में जाकर काजल और कपूर का दान करें से भक्तों के जीवन से कष्ट दूर होते हैं साथ ही भगवान कालभैरव की कृपा भी रहती है। अगर आपके जीवन में धन से जड़ी परेशानियां हैं तो इसके लिए आप भगवान भैरव के मंदिर में जाकर कालाष्टमी के दिन चमेली का तेल और सिंदूर चढ़ाएं।