दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद आम आदमी पार्टी को एक बार फिर से प्रचंड जीत हासिल हुई है। इसी कड़ी में अब अरविंद केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के सीएम बनने की तैयारियों में जुटे हुए हैं। आम आदमी पार्टी को जनता का खूब सारा प्यार मिला और उन्हें प्रचंड बहुमत भी दिया तभी कुल 70 सीटों में से उनके 62 विधायक जीतकर मैदान में आए हैं। इस बीच एक खास बात यह भी कि इस जीत में इन विधायकों में एक पंचर लगाने वाले का बेटे का नाम भी दर्ज है।
जी हां हम बात कर रहे हैं जंगपुरा से जीत कर आए प्रवीण कुमार की। जिन्होनें साल 2011 में अपनी नौकरी छोड़कर अन्ना आंदोलन का हिस्सा बने। इसके बाद प्रवीण आम आदमी पार्टी में शामिल हुए और विधायक बन के जनता का रूख किया। दिलचस्प बात यह है कि प्रवीण को दूसरी बार भी जंगपुरा से जीत हासिल हुई है।
मध्य प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाले प्रवीण कुमार पढऩे में काफी अच्छे थे,तभी उनके पिता ने उन्हें पढ़ाई करने के लिए कभी मना नहीं किया। प्रवीण ने साल 2008 में अपनी एमबीए की पढ़ाई पूरी की है। इसके बाद वो नौकरी के लिए दिल्ली आए और यहां पर 2-3 साल उन्होंने जॉब करी। इस बीच साल 2011 में अन्ना आंदोलन छिड़ा जिस वजह से प्रवीण कुमार काफी ज्यादा प्रभावित हुए और उन्होंने अपनी नौकरी छोडऩे तक का फैसला कर लिया था।
क्योंकि उस समय उनके लिए अन्ना आंदोलन ही सबकुछ था। इतना ही नहीं इस आंदोलन में प्रवीण ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। कुछ समय बाद ही प्रवीण अपने नेतृत्व क्षमता और पढ़ाई लिखाई के दम पर केजरीवाल की लिस्ट उनका नाम जुड़ गया। जिसका लाभ प्रवीण को उस समय मिला जब केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी बनी।
केजरीवाल ने प्रवीण को साल 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में जंगपुरा से आप का प्रत्याशी बनाकर उतारा। जैसे ही प्रवीण को प्रत्याशी बनाया गया तभी वह अपनी जमीन बनाने में जी जान से लग गए। तब वह लोगों के घर-घर गए और उन्हें यह भरोसा दिलाया कि वह उनके लिए काम करेंगे। इसके बाद प्रवीण की बात लोगों को समझ आई और जंगपुरा की जनता ने उन्हें करीब 20 हजार वोटों से जिताया।
चुनाव जीत जाने के बाद प्रवीण ने जो भी लोगों से वादा किया उसे पूरा करके दिखाया। प्रवीण के काम के बल पर वह लोगों के बीच लोकप्रिय रहे और केजरीवाल ने 2020 में भी प्रवीण को ही जंगपुरा से अपना प्रत्याशी बनाया। खास बात यह हे कि जंगपुरा की जनता ने एक बार फिर से अपना विधायक प्रवीण को चुना है। इस पूरे सफर में महत्वपूर्ण बात यह रही कि प्रवीण के पिता जिनका नाम पीएन देशमुख है। उनमें साल 2011 से और अभी तक कोई भी बदलावा देखने को नहीं मिला।
क्योंकि उनका बेटा दूसरी बार विधायक चुना गया,लेकिन उन्होंने अपनी दुकान बंद नहीं की है,क्योंकि इसी कमाई से उन्होंने प्रवीण को एक काबिल इंसान बनाया है। आज के समय में भी प्रवीण के पिता भोपाल के जिंसी चौराहे बोगदापुल के पास मौजूद अपनी ज्योति टायर वक्र्स में रोजाना जाते हैं और वहां पर पंचर बनाने का काम करते है।