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जानें कौन हैं तब्लीगी जमात का मुखिया मौलाना साद,जिसकी एक गलती से पूरे देश में तेजी से फैला कोरोना

तबलीगी में मौजूद सैंकड़ो लोगों को कोरोना वायरस की पुष्टि हो जाने के बाद मौलाना साद के खिलाफ और ज्यादा सख्त करवाई की जा रही है।

तबलीगी में मौजूद सैंकड़ो लोगों को कोरोना वायरस की पुष्टि हो जाने के बाद मौलाना साद के खिलाफ और ज्यादा सख्त करवाई की जा रही है। एक ओर  कोरोना वायरस का कहर दुनिया भर में तबाही मचा रहा है। तो वहीं देशभर में लॉकडाउन के बाद भी दिल्ली के निजामुद्दीन में आयोजित किये गए तबलीगी जमात के प्रोग्राम के बाद से ही मौलाना साद को पुलिस ने अपनी रडार पर ले रखा है। इतना ही नहीं क्राइम ब्रांच टीम ने साद के आलीशान फार्म हाउस में नोटिस का जायजा भी लिया है। लेकिन क्या आपको मालूम है फरेबी मौलाना साद का विवादों से आज से नहीं बल्कि काफी पुराना नाता है। तो आइये आज हम आपको साद की निजी जिंदगी से जुड़े कुछ ऐसे अनसुने चिठों का पर्दा फाश करेंगे जिनसे शायद आप अनजान होंगे। 
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तबलीगी जमात के  56 साल वर्षीय मुखिया का पूरा नाम मौलाना साद कंधालवी है। साद का जन्म 10 मई सन 1965 में हुआ था। मौलान साद की शिक्षा हजरत निजामुद्दीन के मरकज के मदरसा काशिफुल उलूम से हुई।  नवंबर 16, 2015 को मौलाना साद तबलीगी जमात के ‘अमीर’ बने जो कि दुनिया के करीब 150 देशों में फैली है। तबलीगी जमात की स्थापना साद के दादा मौलाना मोहम्मद इलियाज़ ने की थी। मोहम्मद इलियाज़ की मौत हो जाने के बाद इस गद्दी को हासिल करने के लिए काफी सरे लोग आगे आए,लेकिन मौलाना साद ने सबको एक किनारे कर खुद ही गद्दी पर अपना कब्ज़ा कर लिया। 
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तबलीगी जमात का ही एक हिस्सा सेंट्रल कंसल्टेटिव काउंसिल यानी शूरा का भी है जिसका सदस्य साद रहा है। इससे वह करीब 20 साल तक जुड़ा रहा था। साद ने मौलवियत की तालीम मदरसा कासिफ—उल—उलूम से हासिल की है, ये मरकज का ही एक हिस्सा है।
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बताया जाता है मौलाना साद को अपने हुकूमत में किसी का दखल अंदाजी करना गवारां नहीं है। तभी तो उसे हमेशा से शूरा कमेटी की ओर से तबलीगी जमात का नया मुखिया चुनने को लेकर उनका दिया गया प्रस्ताव उसे पसंद नहीं आया। इसके बाद उसने 16 नवंबर 2015 में खुद ही तबलीगी जमात का मुख्यिा होने का ऐलान कर दिया। 
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दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन बस्ती में रहने वाला मौलाना साद के तीन बेटे और बेटियां हैं। इतना ही नहीं साद  लग्जरी लाइफ स्टाइल जीने का काफी ज्यादा शौकीन है। उसकी प्रॉपर्टीज की बात करें तो उसका घर दिल्ली के जाकिर नगर में है,जबकि दूसरा यूपी के कंधाला में स्थित है। इतना ही नहीं उसके फार्म हाउस में भी कई लग्जरी गाड़ियां मौजूद हैं।
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दुनियाभर में तबलीगी जमात के करीब 100 करोड़ फॉलोअर्स है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि मौलाना साद को युवा पीढ़ी काफी पसंद करती इस वजह से वह  लोग उसकी बातों पर वे मिंटो अमल करने लगते हैं। बताया जाता है कि तबलीगी जमात के मुखिया के तौर पर मौलाना साद इस्लामिक बातों का प्रचार-प्रसार करता था। इसके अलावा वह अप्रत्यक्ष तौर पर लोगों को भड़काने की कोशिश करता था और उसके शिकार केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब है।
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इतना ही नहीं मौलाना साद को उसके भड़कीले बर्ताव के लिए जाना जाता है।इसलिए बहुत बार उसके खिलाफ इस्लामिक धर्मगुरुओं ने फतवा भी जारी किया है। जानकारी के लिए बता दें कि निजामुद्दीन के मरकज में तबलीगी जमात के जलसे में करीब 2 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। यहां से ये लोग देश के अलग-अलग राज्यों में गए जिससे कोरोना देश के और जगहों पर फैला है।

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