बिल्व पत्र का उपयोग कितने दिनों तक किया जा सकता है, जानें क्या है भोलेनाथ की पूजा में इसका विशेष महत्व - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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बिल्व पत्र का उपयोग कितने दिनों तक किया जा सकता है, जानें क्या है भोलेनाथ की पूजा में इसका विशेष महत्व

हिंदू धर्म में हर भगवान की पूजा-अर्चना के लिए हफ्ते का एक दिन बताया गया है। ऐसे में भगवान शिव की पूजा के लिए सोमवार का दिन है। कई वस्तुएं अर्पित भोलेनाथ को करते हैं।

हिंदू धर्म में हर भगवान की पूजा-अर्चना के लिए हफ्ते का एक दिन बताया गया है। ऐसे में भगवान शिव की पूजा के लिए सोमवार का दिन है। कई वस्तुएं अर्पित भोलेनाथ को करते हैं। शिव भगवान को पूजा में भांग, धतूरा, दूध आदि यह होती हैं। इनमें से एक बिल्व पत्र होता है जो पूजा में भोलेनाथ को अर्पित किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कितने दिनों तक बिल्व पत्र को वृक्ष पर से तोड़ने के बाद भगवान शिव को अर्पित किया जा सकता है। इसके अलावा क्या फायदा इसका वृक्ष लगाने से है और औषधिय महत्व इसका क्या होता है। 
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बिल्व पत्र भोलेनाथ को बहुत प्रिय है। इसलिए भगवान शिव की पूजा में बिल्व पत्र चढ़ाया जाता है। बिल्ब पत्र के बारे में शिव पुराण में भी बताया गया है। पूजा में एक ही बिल्व पत्र को दोबारा से धोकर चढ़ाया जा सकता है। छह माह तक बिल्व पत्र वृक्ष से टूटने के बाद भी बासी नहीं माना जाता। मान्यताओं के अनुसार पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति वहां पर होती जहां पर इसका पेड़ होता है। 
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ये है इसका औषधिय महत्व
क्षार तत्व की मात्रा बिल्व पत्र में भरपूर होती है। ऐसा कहा जाता है कि इसका उपयोग कई रोगों के इलाज में किया जाता है। 
कई स्वास्थ समस्याएं व्यक्ति को  चातुर्मास में होती है और उनमें बहुत लाभदायक बिल्व पत्र होता है। 
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यह बहुत लाभकारी गैस कफ और अपच की समस्या में होता है और यह फायदेमंद मधुमेह वालों को नहीं होता है। 
 ताजे बिल्व पत्र पीसकर चोट पर लगाने से घाव जल्दी भरता है। 
ये है इसका वास्तु महत्व 

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घर के उत्तर-पश्चिम कोण में बेल के पौधे को लगाना शुभ माना गया है। अगर संभव न हो सके तो इसे उत्तर दिशा में भी लगा सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि सदैव सकारात्मकता उस जगह पर बनी रहती है जहां पर बिल्व का पेड़ होता है। 
इन योग्य बातों का ध्यान बिल्व पत्र तोड़ते समय रखें 
बिल्व पत्र को सोमवार के दिन नहीं तोड़ना चाहिए। 
बिल्व पत्र को अष्टमी, चतुदर्शी, अमावस्या और संक्रांति के पर्व पर भी नहीं तोड़ना चाहिए। 
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बिल्व पत्र भगवान शिव जी को चढ़ाते समय याद रहे वह एक दम साफ़ सुथरा होना चाहिए। 
जल की धारा शिवलिंग पर चढ़ाते बिल्व पत्र चढ़ाते समय रहें। 

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