छठ पूजा का पर्व पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार करीब 4 दिन तक मनाया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व के हर एक दिन प्रसाद में कुछ खास बनाने का रिवाज है। छठ के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है इस दिन ग्रहणी प्रसाद के लिए रसिया बनाती हैं। खीर बनाने के लिए आम की लड़की और मिट्टी के चूल्हे का उपयोग किया जाता है। इसमें चावल और दूध चंद्रमा का प्रतीक है तो गुड़ सूर्य का प्रतीक है।
क्या आपको मालूम है कि छठ पूजा का प्रसाद केवल चूल्हे पर ही क्यों बनाया जाता है। अगर नहीं तो आपको बता दें कि छठ पूजा का प्रसाद चूल्हे पर ही बनाए जाने के पीछे एक कहानी जुड़ी हुई है।
जो आज हम आपको बताने वाले हैं। मान्यता है कि छठ पूजा का प्रसाद केवल चूल्हें पर ही बनाना चाहिए। ऐसा इसीलिए कि जिस चूल्हे पर खाना बन चुका हो उस पर छठ पूजा का प्रसाद नहीं बनाना चाहिए।
छठ पूजा के प्रसाद के लिए नया चूल्हा होन चाहिए। ऐसा इस वजह से क्योंकि हम जिस चूल्हे पर खाना बनाते हैं उस पर प्याज लहसुन या फिर कोई मांसाहारी खाना पहले भी कभी बनाया होता है। जबकि छठ पूजा का प्रसाद एक पवित्र प्रसाद होता है।
इस वजह से छठ के प्रसाद के लिए नए चूल्हे का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा छठ के प्रसाद बनाने के लिए ऐसे बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए। जिसमें पहले कोई नमक वाली चीज नहीं बनाई गई हो। क्योंकि छठ का प्रसाद व्रत वाले लोग भी ग्रहण करते हैं।
एक अन्य मान्यता यह भी है कि छठ के प्रसाद को खुले आंगन में बनाना चाहिए। जहां पर चूल्हा बना रखा हो उसे साफ पानी से धोकर फिर उस पर गोबर से लेपना चाहिए। यदि आप बड़ा चूल्हा नहीं बना सकते तो ऐसे में आप सिर्फ तीन ईंटें रखकर चूल्हा बना सकते हैं।