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तो इस वजह से लोहड़ी की अग्नि में तिल और मूंगफली डालना माना जाता है शुभ

13 जनवरी यानी आज सोमवार को पूरे उत्तर भारत में लोहड़ी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है।

13 जनवरी यानी आज सोमवार को पूरे उत्तर भारत में लोहड़ी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। पंजाब और हरियाणा दोनों ही जगह इस त्योहार को लेकर लोगों में काफी ज्यादा उत्साह देखने को मिल रही है। इस खास मौके पर लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बधाइयां और मिठाई भेजते हैं साथ ही बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया जाता है। 
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इसके बाद शाम को घर के बाहर सभी लोग अपने-अपने घर के आगे लोहड़ी जलाएंगे और पवित्र अग्नि में मूंगफली ,तिल,रेवड़ी और गजक डालकर इसकी परिक्रमा करेंगे। मगर क्या आपको मालूम है कि लोहड़ी की अग्नि में आखिर तिल,रेवड़ी,मूंगफली किस वजह से डालते हैं। अगर नहीं? तो आइए जानते हैं इसके पीछे की असल वजह…
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1.इस वजह से लोहड़ी की आग में डालते हैं तिल और मूंगफली
जानकारी के लिए बता दें कि लोहड़ी का पर्व फसल की बुआई और कटाई से जुड़ा है। लोहड़ी की अग्नि में रवि की फसल तिल,रेवड़ी,गुड़,गजक एंव मूंगफली अर्पित की जाती है। माना जाता है कि ऐसा करने से सूर्य और अग्नि देव के प्रति आभार प्रकट किया जाता है। क्योंकि उन्ही की कृपा से फसल अच्छी होती है।
2.लोहड़ी की धार्मिक मान्यता 
पौराणिक कथा के मुताबिक लोहड़ी का संबंध माता सती से भी माना जाता है। देवी सती के पिता दक्ष ने जब महायज्ञ का आयोजन किया था तब भगवान शिव की आज्ञा के बगैर ही सती उस यज्ञ में जा पहुंची। तब प्रजापति ने अपनी बेटी का स्वागत करने के बदले देवी सती और उनके पति भगवान शिव का अपमान कर दिया था। तभी देवी सती इस तरह के अपमान से गुस्सा होकर खुद ही हवन कुंड में हवाले हो गई। 
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3.नवविवाहित कन्या को मायके से तोहफा
देवी सती के आत्मदाह करने लेने के बाद शिव भगवान ने दक्ष प्रजापति को कठोर दंड दिया। दक्ष को जब अपनी भूल पर पछतवा हुआ तब उन्होंने शिवजी से माफी मांगी और जब देवी सती ने पार्वती रूप में अपना अगला जन्म लिया तब उन्हें पार्वती को उनके ससुराल में लोहड़ी के अवसर पर उपहार भेजकर अपनी भूल सुधारने की कोशिश करी। इसके बाद से उस समय में लोहड़ी पर नवविवाहित कन्याओं के लिए मायके से कपड़े और उपहार भेजे जाते हैं। 
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4.दुल्ला भाटी की भी करते हैं प्रशंसा
लोहड़ी वाले दिन पंजाबी लोग अलाव जलाकर उसके चारों और नृत्य करते हैं। लड़के जहां भांगड़ा पाते हैं। तो वहीं महिलाएं और लड़कियां गिद्घा नृत्य करती हैं। वहीं लोहड़ी की अग्नि के आसपास लोग इकट्ठे होकर दुल्ला भट्टी की प्रशंसा गायन भी करते हैं। जो पंजाब का लोक पात्र है।  

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