बेटियों को आज भी भले समाज में एक वर्ग बोझ मानता हो और उनके जन्म पर अफसोस जताता है। लेकिन कोलकाता की एक 19 साल की बेटी ने अपने बीमार पिता के लिए कुछ ऐसा किया है जिससे इस सोच को बदलने में मदद जरूर मिलेगी। इस बहादुर बेटी ने जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे अपने बीमार पिता को अपने लीवर का 65 फीसदी हिस्सा दान कर दिया है।
बेटी ने दी अपने पिता को नई जिंदगी
सुदीप दत्ता की दो बेटियां हैं जिनका नाम रूबी और राखी दत्ता है। उन्हें अपनी बेटियों पर बहुत गर्व हैं और वह खुद को भाग्यशाली पिता मानते हैं जो दो बेटियों के पिता है। बता दें कि हाल ही में सुदीप दत्ता हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव से पीडि़त थे और डॉक्टरों ने उन्हें लिवर चेंज करने की सलाह दी थी। उन्हें करीब 20 दिनों के लिए कोलकाता के नारायण अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
ये अस्पताल लीवर ट्रांसप्लांट के लिए 35 लाख रुपए ले रहा था। वहीं 20 दिनों तक अस्पताल में इलाज होने के बाद भी सुदीप के स्वास्थ्य में कोई भी सुधार देखने को नहीं मिला था वहीं अस्पताल वाले भी एक लीवर डोनर को खोजने में काफी ज्यादा समय लगा रहे थे। इसलिए सुदीप दत्ता की बड़ी बेटी रूबी ने अपने पिता को तभी अस्पताल से छुट्टी देने के लिए मेडिकल बांड पर हस्ताक्षर किए।
मुस्कराते हुए ऑपरेशन थियेटर गईं दोनों बहने
सुदीप की दोनों बेटियां रूबी और राखी अपने पिता के अच्छे इलाज के लिए उन्हें हैदराबाद के गाचीबोवली में एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में ले गई। वहीं मेडिकल चेकअप होने के बाद सुदीप को अस्पताल में भर्ती कर लिया गया और इलाज शुरू होने के बाद रूबी ने अपने पिता को अपना लीवर दान करने के लिए कहा डॉ राजेंद्र प्रसाद को कहा। वो एक ही बार में तैयार हो गई फिर उनका मेडिकल चेकअप किया गया। लेकिन हुआ कुछ ऐसा जब चेकअप के बाद मेेडिकल रिपोर्टस आई तो मालूम हुआ कि रूबी का लीवर का ढांचा बिल्कुल अलग था। अगर रूबी 65 प्रतिशत से ज्यादा अपना लीवर ट्रंसफर करती हैं तो उनके लिए वह जोखिम भरा सिद्घ हो सकता है।
उसके बाद राखी को लीवर ट्रांसप्लांट के लिए बोला गया और उसके बाद उनके मेडिकल टेस्ट भी किए गए और उनके लीवर की संरचना उसके पिता के साथ मैच हो गई थी। राखी अपने बीमार पिता को ठीक करने के लिए अपना 65 प्रतिशत ट्रांसफर करने के लिए तैयार हो गई थी।
सुदीप दत्ता का बचना 80 प्रतिशत तय जबकि राखी का 0.5 प्रतिशत जोखिम में था। लेकिन दोनों बेटियों ने बिना अपनी परवाह किए पिता की भलाई के अलावा किसी और चीज के लिए नहीं सोचा ताकि उनके पिता अच्छे से स्वास्थ होकर घर वापस लौट आएं।
बता दें कि राखी 19 साल की हैं और रूबी 25 साल की हैं। इन दोनों बहनों ने अपने पिता को जल्द से जल्द ठीक करने की सारी कोशिशे की और सारी जिम्मेदारी भी संभाली और 4 महीने तक ये दोनों बहने अपने पिता के साथ हैदराबाद में ही रहीं। करीब दो हफ्तों बाद पिता को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वह उन्हें हैदराबाद से कोलकाता लेकर आई। साथ ही राखी जिन्होंने अपने पिता को लीवर दान किया वह इस लड़ाई में सफल हो गई।