17 अगस्त सोमवार यानी आज है मासिक शिवरात्रि। यह शिवरात्रि भाद्रपद माह की है। हर महीने यह व्रत आता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार विशेष महत्व मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, मासिक शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है। मान्यताओं के मुताबिक बहुत अधिक महत्व इस व्रत का होता है। भगवान शिव की आरधना इस दिन होती है।
ये है मासिक शिवरात्रि का महत्व
भगवान शिव की पूजा मासिक शिवरात्रि के दिन करते हैं। ऐसा करने से भोलेनाथ अपने भक्तों की सारी मुरादें पूर्ण करते हैं। बहुत अधिक महत्व मासिक शिवरात्रि के व्रत का होता है। भगवान शिव की विशेष कृपा इस दिन व्रत रखने से होती है। हिंदू धर्म के मुताबिक, क्रोध, ईष्र्या, अभिमान और लोभ से मुक्ति मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रखने से मिलती है। सुख और शांति प्रदान मासिक शिवरात्रि जीवन में करता है साथ ही उपासक के सारे बिगड़े काम भगवान शिव की कृपा दृष्टि से बन जाते हैं। संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति के लिए भी यह व्रत करते हैं।
यह है इस व्रत की पूजा विधि
व्यक्ति सुबह जल्दी उठकर मासिक शिवरात्रि के दिन स्नान के बाद अपने घर के मंदिर में दीया जलाएं।
भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले करनी चाहिए।
अगर घर में शिवलिंग है तो गंगा जल से अभिषेक शिवलिंग का कर लें।
अगर गंगा जल नहीं है तो आप भोले बाबा का अभिषेक साफ पानी से भी कर सकते हैं।
अगर आपके घर में शिवलिंग नहीं है तो आप भोले बाबा का ध्यान कर लें।
उसके बाद शिव भगवान की आरती करें।
इस दौरान माता पार्वती की आरती भी भगवान शिव के साथ करें।
इच्छानुसार भगवान शंकर को भोग इस दिन आप लगाएं।
ध्यान रहे सात्विक आहार का ही भोग भगवान को लगाएं। कुछ मीठा भोग में जरूर शामिल करें।
ये है मासिक शिवरात्रि की व्रत कथा
मान्यताओं के मुताबिक, महाशिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि के समय भगवान शिव शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। उसके बाद भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने सबसे पहले उनकी पूजा की थी। भगवान शिव जन्म दिवस के रूप में इस दिन को बहुत धूम-धाम से मनाते हैं।
भगवान शिव की पूजा का इस दिन खास महत्व है। शिवरात्रि व्रत का ज़िक्र बहुत से पुराणों में किया गया है। माता लक्ष्मीं, सरस्वती, गायत्री, सीता, पार्वती तथा रति जैसी बहुत-सी देवियों और रानियों ने अपने जीवन के उद्धार के लिए शास्त्रों के अनुसार शिवरात्रि का व्रत किया था।