दुनिया में सात अजूबे हैं उसमें ताजमहल एक अजूबा है। ताजमहल पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। ताज महल अपनी भव्य सुदंरता के लिए जाना जाता है। शाहजहां-मुमताज की प्रेम कहानी के लिए भी ताजमहल पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। ताजमहल पूरी दुनिया में जितना अपनी सुदंरता के लिए फेमस है उतना ही वह अपने पीछे छुपाए हुए रहस्यों के लिए बहुत बदनाम भी है और प्रसिद्ध है। पिछले कई सालों से यह विवाद बना हुआ है कि ताजमहल जो दुनिया के अजूबों में से एक है इसका वास्तव में नाम ताजमहल नहीं तेजो महालय होना चाहिए था।
बता दें कि ताजमहल के तैखाने में पूरे 22 कमरे हैं। सदियों से ताजमहल के यह तहखानें बंद पड़े हैं। आज तक किसी को भी यह पता नहीं चल पाया है कि यह तैखाने क्या हैं, इनका क्या रहस्य है और इन तहखानों को क्यों बंद किया हुआ है। आज हम आपको इन तहखानों के बारे में कुछ खास बातें बताएंगे और इन से जुड़े ऐसे सच जिनके बारे में दुनिया शायद ही जानती होगी।
कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को तहखाने में आने से रोका जाता है
कर्ई ऐसे सिद्धांतकार हैं जो यह कहते हैं कि ताजमहल के बेसमेंट में जो कक्ष बने हुए है वह मार्बल के बने हुए हैं। ऐसा कहा जाता है कि तहखाने में कार्बन डाइऑक्साइड की अगर मात्रा बढ़ जाएगी तो वह कैल्शियम कार्बोनेट में बदल जाएगी। कार्बन डाइऑक्साइड मार्बल्स को पाउडर का रूप देने शुरू कर देता है और उसकी वजह से दीवारों को नुकसान पहुंच सकता है। ताजमहल की दीवारों को नुकसान से बचाने के लिए तैखानों को बंद कर दिया गया। तैखानों में लोगों को भी जाने नहीं दिया जाता है।
महल में मुमताज के शरीर को मम्मी के रूप में तहखाने में रखा गया है
कई इतिहासकारों का कहना है कि मुमताज महल का शरीर तहखाने में आज भी वैसे ही दफन किया गया है जैसे कि मुमताज मरने से पहले थीं। यह भी कहा जाता है कि मुमताज महल के शरीर को यूनानी तकनीक के अनुसार संरक्षित किया गया है। आपको बता दें कि इस तकनीक का इस्तेमाल इसलिए किया गया था क्योंकि इस्लाम धर्म में किसी की भी मृत्यु होती है तो उसके शरीर को काटने या फिर शरीर पर किसी भी तरह की कोर्ई क्षति पहुंचाना धर्म के खिलाफ माना जाता है या फिर प्रतिबंधित होता है। बता दें कि मुमताज महल जब मरी थी तो उनके मरने के बाद उनके शरीर को टिन के एक संदूक में ऐसी जड़ी-बूटियों के साथ रखा गया हुआ है जो मांस को कभी सडऩे नहीं देती है।
तहखाने में हिंदू मूर्ती और वास्तुकला पाई गई है
साल 1934 में दिल्ली के एक निवासी ने दीवार पर एक छेद के जरिए ताजमहल के तैखाने के अंदर जो कमरे थे उनमें झांका कर देखा था। उस आदमी ने देखा कि वह कमरा स्तंभों से बना एक बहुत बड़ा हॉल था और वह स्तंभ हिंदू देवी- देवताओं की मूर्तियों से भरा पड़ा था। उस व्यक्ति के अनुसार कमरे में रौशनदानियां बनी हुई थी जो आमतौर पर बड़े हिंदू मंदिरों में देखने को मिलती है। उन रौशनदानियों को संगमर्मर के पत्थर से ढंका गया था जिसे देख कर लगता है कि किसी ने वहां के हिंदू मूल को छुपाने का पूरा प्रयत्न किया था।
वहां के स्थानीय लोगों का भी मानना है कि ताजमहल पहले एक हिंदू मंदिर था जो तेजो महालय के नाम से प्रसिद्ध था। बाद में इसे ताजमहल का रूप दे दिया गया। परंतु सच्चाई क्या है यह आज भी किसी को नहीं पता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 22 कमरों को इसलिए बंद रखा है ताकि इस कमरे में छिपे सच्चाई के चलते भविष्य में दंगे ना हों।
यदि ताजमहल सच में कोई हिंदू मंदिर हुआ तो यह सच भी लोगों को कभी बताया नहीं जाएगा। ऐसा करने पर इस सच के चलते देश में धर्मों को लेकर अनेक विवाद शुरू हो जाएंगे और इससे हिंदू-मुस्लिम के बीच विवाद का भयानक मंजर सामने आ सकता है।