माता महागौरी की पूजा नवरात्रि के अष्टमी तिथि पर की जाती है। माता महागौरी ने कठोर पूजा भगवान शिव को पाने के लिए की थी जिसकी वजह से पूरा शरीर ही माता का काला हो गया था। माता महागौरी को जब भगवान शिव ने दर्शन दिए ताे मां महागौरी का शरीर उनकी कृपा से बहुत गौर हो गया जिसके बाद माता का नाम गौरी पड़ गया।
ऐसी मान्यता है कि श्री राम की प्राप्ति के लिए मां महागौरी की पूजरा माता सीता ने की थी। श्वेत वर्ण की मां गौरी हैं और इनका ध्यान श्वेत रंग में करने से लाभ मिलता है। मां महागौरी की पूजा विवाह संबंधी तमाम बाधाओं के निवारण के लिए शुभ मानी जाती है। शुक्र नाम के ग्रह से ज्योतिष में मां महागौरी का माना जाता है। मां महागौरी की पूजा इस साल 6 अक्टूबर यानी रविवार को की जा रही है।
मां गौरी की पूजा की विधि क्या है?
पूजा आरम्भ पीले वस्त्र पहनकर करें। मां के सामने दीपक जलाकर उनका ध्यान करें। मां को श्वेत या पीले रंग के फूल ही पूजा की चंढ़ाएं। मां के मन्त्रों का जाप इसके बाद शुरु करें। मध्य रात्रि में पूजा करने से शुभ लाभ मिलते हैं।
मां गौरी की पूजा से इस तरह से शुक्र को करें मजबूत?
सफेद वस्त्र पहनकर मां की पूजा करें। सफेद फूल और सफेद मिठाई मां को चढ़ाएं। इसके बाद “ॐ शुं शुक्राय नमः” शुक्र का मूल मंत्र है इसका जाप करें। प्रार्थना करें शुक्र की समस्याओं के समाप्ति की।
भोजन कराने का महत्व और नियम अष्टमी पर कन्याओं को
सिर्फ व्रत और उपवास का ही पर्व नवरात्रि नहीं होता है। नारी शक्ति के और कन्याओं के सम्मान का भी नवरात्रि का पर्व होता है। कुंवारी कन्याओं को पूजने और भोजन कराने की परंपरा इस वजह से नवरात्रि में है।
कन्याओं के पूजा की परंपरा वैसे तो नवरात्रि के हर दिन पर है लेकिन विशेष रूप से कन्याओं की पूजा अष्टमी और नवमी पर की जाती है। 2 साल से लेकर 11 साल तक की कन्याओं की पूजा की जाती है। देवी के अलग-अलग रुप को अलग-अलग उम्र की कन्या बताती हैं।
क्या विशेष प्रसाद मां महागौरी को चढ़ाएं?
अष्टमी पूजा में नारियल का भोग मां महागौरी को लगाएं। सर पर से फिरा का नारियल को बहते हुए जल मे ंप्रवाहित कर दें। ऐसा करने से आपकी एक खास मनोकामना पूरी हो जाएगी।