प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और उज्जवल भविष्य की कामना के लिए अहोई अष्टमी का व्रत करती हैं। इस व्रत में माताएं पूरे दिन निर्जला उपवास करने के बाद शाम को तारों की छांव में अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं। ये व्रत विशेषतौर पर संतान के लिए किया जाता है।
यदि किसी को संतान प्राप्ति की कामना है तो इस दिन पूजा से संबंधित कुछ उपाय बताए गए हैं। मान्यता है कि यह उपाय करने से संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है। जिन महिलाओं को संतान न हो रही हों या दीर्घायु न हो रही हों, उनके लिए अहोई अष्टमी का व्रत करना काफी शुभ माना जाता है।
1. अगर किसी को संतान प्राप्ति की कामना है तो अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखकर मां अहोई का पूजन करना चाहिए व पूजन करने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती को दूध भात का भोग लगाना चाहिए। संध्या के समय पीपल के नीचे दीपक प्रज्वलित करके परिक्रमा करनी चाहिए व खाने में से एक हिस्सा गाय के लिए भी निकालना चाहिए। मान्यता है कि इससे अहोई माता प्रसन्न होती हैं व आपकी मनोकामना पूर्ण करती हैं।
2. अहोई अष्टमी के दिन पूजन में अहोई माता को सफेद पुष्प अर्पित करें। इस दिन घर के सदस्यों की संख्या के अनुसार तुलसी के पौधे लगाने चाहिए व उसके बीच एक छोटा सा तुलसी का पौधा भी लगाना चाहिए। इसके बाद संध्याकाल में तारों की छांव में पूजन करते हुए अहोई माता से संतान प्राप्ति की कामना करनी चाहिए। मान्यता है कि इससे जल्दी ही आपकी मनोकामना पूर्ण होती है। इन पौधों की नियमित रुप से देखभाल करनी चाहिए।
3. अहोई अष्टमी के दिन ब्रह्म मूहुर्त में उठकर स्नानादि करने के पश्चात पारद शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करें। भगवान शिव और माता गौरी की का पूजन करें और संतान प्राप्ति की कामना कहें। यह कार्य आपको अहोई अष्टमी से आरंभ करके भाई दूज तक नियमित रुप से करना चाहिए।
4.निःसंतान माताएं अहोई अष्टमी के दिन चांदी के 9 मोतियों को माता अहोई का ध्यान करते हुए लाल धागे में पिरो लें और उसकी एक माला बना लें। फिर उस माला को अहोई पूजा के दौरान अर्पित करते हुए संतान प्राप्ति की मनोकामना मांगे। ऐसा करने से आपके आंगन में जल्द ही बच्चे की किलकारियां गुजेंगी।