पितरों की शांति के लिए श्राद्ध पक्ष में एक खास महत्व पिंडदान को बताया गया है। पिंडदान करने के कई तीर्थ स्थल भारत में हैं लेकिन सबसे प्रमुख स्थान गया को माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि पितरों का पिंडदान और श्राद्ध पूजा गया में करने से उन्हें मुक्ति मिल जाती है।
भारत के बिहार राज्य में गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि गया में ही भगवान विष्णु के चरण हैं। वहां पर ही पिंडदान किया जा सकता है। चलिए आपको बताते हैं कैसे कर सकते हैं पिंडदान-
ये है पिंडदान की विधि
– श्वेत वस्त्र पहन कर ही पिंडदान या श्राद्ध कर्म करें
– पिंड का निर्माण जौ के आटे या खोये से ही करें। पिंड का पूजन उसके बाद चावल, कच्चा सूत, फूल, चंदन, मिठाई, फल, अगरबत्ती, तिल, जौ, दही आदि से करें।
– पिंड को हाथ में लेकर इदं पिंड यानी पितर का नाम लें तेभ्यः खधा के बाद इस मंत्र का जाप करते हुए पिंड को अंगूठा और तर्जनी उंगली के मध्य से छोड़ें।
-तीन पीढ़ी के पितरों का पिंडदान इस तरह से करना चाहिए।
-पितरों की अराधना पिंडदान करने के बाद करें। फिर जल में पिंड को उठाकर प्रवाहित कर दें।
– दोपहर के समय ही हमेशा श्राद्ध किया जाता है।
पिंडदान क्या होता है?
विद्वानों के अनुसार, गोलाकर रुप पिंड किसी वस्तु का कहा जाता है। मृतक के निमित्त अर्पित पिंडदान के समय किए जाने वाले पदार्थ में जौ या चावल का आटा गूंथकर उसका गोलाकृति बनाते हैं जिसे पिंड कहा जाता है।
दक्षिण की ओर मुख करके, जनेऊ को दाएं कंधे पर रखकर चावल, गाय के दूध, घी, शक्कर और शहद को मिलाकर तैयार किए गए पिंडों को श्राद्ध भाव के साथ अपने पितरों को अर्पित करना ही पिंडदान कहलाता है।
15 सितंबर, 2019 द्वितीय श्राद्ध मुहूर्त-
कुतुप मुहूर्त – 11:29 AM से 12:17 PM तक
अवधि – 49 मिनट
रौहिण मुहूर्त -12:17 PM से 01:06 PM तक
अवधि – 49 मिनट
अपराह्न काल – 01:06 PM से 03:33 PM तक
अवधि – 2 घंटे 26 मिनट
द्वितीया तिथि आरंभ – 12:24 PM, सितंबर 15, 2019
द्वितीया तिथि समाप्त – 02:35 PM, सितंबर 16, 2019