बिहार के छपरा में रेलवे कई बार कर चूका है इस मंदिर गिराने का प्रयास, लेकिन चमत्कारी शक्ति रोक देती है - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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बिहार के छपरा में रेलवे कई बार कर चूका है इस मंदिर गिराने का प्रयास, लेकिन चमत्कारी शक्ति रोक देती है

लोगों का कहना है कि मंदिर जिले की एक वृद्ध महिला के नाम पर बना है। मंदिर रेलवे क्षेत्र में होने के कारण ट्रेनों की दैनिक गतिविधि में बाधा उत्पन्न करता है। पहले भी इस मंदिर को हटाने के कई प्रयास किए गए, लेकिन रेलवे प्रशासन ऐसा करने में विफल रहा।

आपने पूजा स्थलों और मंदिरों के बारे में दिलचस्प कहानियाँ सुनी होंगी। ये कहानियां बार-बार लोगों को झकझोर कर रख देती हैं। बुधिया माई मंदिर की ऐसी ही एक खास घटना आपको हैरान कर सकती है। हम किस बारे में बात कर रहे हैं, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
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बिहार के छपरा जिले में हुई एक दिल दहला देने वाली घटना ने लोगों के रोंगटे खड़े कर दिए। जिले में रेलवे प्रशासन ने अति प्राचीन माने जाने वाले बुधिया माई मंदिर को हटाने के लिए कड़े कदम उठाए। उन्होंने इस प्रक्रिया में एक पेड़ को काटने का फैसला किया। जैसे ही उन्होंने पेड़ को काटना शुरू किया, अचानक उसमें से खून निकलने लगा। इससे स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों में आक्रोश फैल गया। इस घटना ने सभी का ध्यान खींचा है, कई लोगों ने रेलवे के कार्यों और पर्यावरण पर प्रभाव पर सवाल उठाया है।
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लोगों का कहना है कि मंदिर जिले की एक वृद्ध महिला के नाम पर बना है। मंदिर रेलवे क्षेत्र में होने के कारण ट्रेनों की दैनिक गतिविधि में बाधा उत्पन्न करता है। पहले भी इस मंदिर को हटाने के कई प्रयास किए गए, लेकिन रेलवे प्रशासन ऐसा करने में विफल रहा। रेलवे प्रशासन के कई अधिकारी और उनके परिवार के सदस्य मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुंचे। इसके आसपास पीपल और नीम के कई पेड़ हैं। इन पेड़ों पर बड़ी संख्या में पक्षी रहते हैं। इस मंदिर का शांत वातावरण लोगों को बहुत शांति देने के लिए जाना जाता है।
स्थानीय लोगों ने एक मीडिया पोर्टल से कहा कि इस मंदिर को हटाकर पटरियां बिछाने का काम काफी पहले से किया जा रहा था, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। उन्होंने यह भी कहा कि एक बार रेलवे प्रशासन द्वारा मंदिर को हटाने और ट्रैक बिछाने के लिए एक पेड़ काटा जा रहा था, खून आने लगा। पेड़ से खून निकलता देख रेलवे कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया। प्रशासन द्वारा मंदिर की स्थापना पूरे नियम-कानून के साथ की गई थी।

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