रमजान का पाक महीना इस साल चांद दिखने पर 24 या 25 अप्रैल से शुरू होगा। मुसलमान समुदाय में रमजान महीने का खास महत्व होता है। रमजान के पूरे महीने (29 या 30 दिन) तक रोजे रखते हैं साथ ही हर दिन 5 बार नमाज अदा दी जाती है। इस्लाम धर्म में नमाज के अलावा रमजान के दिनों में रात के वक्त एक विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं। मान्यता है कि रमजान के महीने में ही पवित्र पुस्तक कुरान इस पृथ्वी पर अवतरित हुई थी।
रमजान के पाक महीने में लोग अल्लाह से अपने गुनाहों के लिए माफी मांगते हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग साल भर रमजान का बेसब्री से इंतजार करते हैं,माना जाता है इस महीने अल्लाह अपने बंदों को बेशुमार रहमतों से नवाजता है और जहान्नम के दरवाजे बंद कर के जन्नत के दरवाजे खोल देता है।
एक दो दिन में शुरू हो रहा रमजान का पाक महीना इस साल कोरोना के कोहराम के बीच पड़ गया है,जिसके लिए मुसलमान समुदाय के लोगों से ख़ास अपील की गई है की सभी लोग घर पर ही नमाज पढ़े। रमजान के आखिरी दिन पर ईद मनाई जाएगी। बता दें की रमजान के महीने छोटे बच्चे भी रोजा रखते है। क्योंकि इस्लाम धर्म में ऐसी मान्यता है की रोजा रखने से अल्लाह की मेहर उन पर बनी रहती है।
रमजान से जुड़ी कुछ खास बातें
रमजान के पाक महीने में 30 दिन तक रोजा रखा जाता है। सूरज निकलने के पहले सबसे पहले सहरी की जाती है। रोजेदार सहरी में खाते-पीते है उसके बाद दिन भर में भूखे प्यासे रहकर शाम के समय सूरज ढल जाने के बाद रोजा खोला जाता है। उसे इफ्तार कहते हैं।
कहा जाता है कि इफ्तार के समय रोजेदार दिल से जो दुआ मागंते हैं, अल्लाह उनकी तमाम जायज दुआएं कुुबूल करता है और उन पर अपनी मेहर बरसाता है। ध्यान रहे रोजा रखने वालो को कई बातों का ख़ास ध्यान रखना होता है जैसे की झूट नहीं बोलना, बुरा नहीं सुनना, गलत काम नहीं करना। इसी चलते रोजा रखने वालो को खुदको पूरी तरह से पाक रखना होता है। इसके अलावा रमजान के पवित्र महीने में कुरान पढ़ा जाता है और अल्लाह को याद किया जाता है। बात दें की इस साल आखिरी रोजा सबसे ज्यादा समय 15 घंटे 27 मिनट का होगा।