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सावन शिवरात्रि:कांवड़ यात्री ध्यान दें,शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय ना करें ये गलती शुभ मुहूर्त पर चढ़ाये जल

हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मास शिवरात्रि कहा जाता है। पर सावन माह की शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है

हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मास शिवरात्रि कहा जाता है। पर सावन माह की शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है।भारत के समस्त हिंदुओं का विश्वास है कि कांवड़ यात्रा में जहां-जहां से जल भरा जाता है, वह गंगाजी की धारा में से ही लिया जाता है। कांवड़ के माध्यम से जल चढ़ाने से मन्नत के साथ-साथ चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है। हरिद्वार से जल लेकर दिल्ली, पंजाब आदि प्रांतों में करोड़ों यात्री जलाभिषेक करते हैं। यह यात्रा लगभग पूरे श्रावण मास से लेकर शिवरात्रि तक चलती है।कांवड़ शिव की आराधना का ही एक रूप है। इस यात्रा के जरिए जो शिव की आराधना कर लेता है, वह धन्य हो जाता है। 
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पूरे देश में कांवड़ यात्रियों की धूम है, 26 जुलाई 2022  को शिव का अभिषेक किया जाएगा। कांवड़ यात्री शुभ मुहूर्त देखकर शिव पर जल चढ़ाएंगे।
जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष के अनुसार सावन के महीने में मासिक शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाई जाती है।इस बार भोलेनाथ का जलाभिषेक 26 जुलाई को किया जाएगा।इस दिन जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त 7.23 से रात 9.27 तक रहने वाला है।आपको बता दें कि यात्री गंगा जल भरकर ही शिव को चढ़ाते हैं।
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 1. तुलसी को शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए।इसलिए ध्यान दें कि जल चढ़ाते समय भगवान शिव पर तुलसी ना अर्पित करें।
2. भगवान शिव को जल चढ़ाते वक्त खास बर्तन का इस्तेमाल किया जाता है. हमेशा याद रखें कि शिवलिंग पर जल तांबे के लोटे से चढ़ाया जाता है, जबकि पीतल के लोटे से दूध चढ़ाया जाता हैं।
3. तिल या तिल से बनी कोई वस्तु भी भगवान शिव को अर्पित नहीं करनी चाहिए. इसे भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ माना जाता है।
4. हल्दी का संबंध भगवान विष्णु और सौभाग्य से है, इसलिए यह भगवान शिवको नहीं चढ़ता है। अगर ऐसा आप करती हैं तो इससे आपका चंद्रमा कमजोर होने लगता है ।
सावन शिवरात्रि के दिन गुरु पुष्य योग भी बन रहा है। इस योग को सुख समृद्धि कारक माना जाता है। इस शुभ योग में आप सोना, वाहन, घर खरीद सकते हैं। कोई नया काम शुरू करना भी शुभ रहेगा।

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