भगवान गणपति बप्पा की पूजा संकष्टी चतुर्थी के दिन करने का विधान है। संकष्टी चतुर्थी इस बार आज 5 अक्टूबर सोमवार की है। गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त इस दिन व्रत करते हैं। आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर यह व्रत पड़ता है।
हिंदू धर्म में खास महत्व संकष्टी चतुर्थी के व्रत का बताया गया है। मगर संकष्टी चतुर्थी का महत्व इस बार अधिक मास के चलते बढ़ गया है। मान्यताओं के अनुसार गणेश जी की कृपा संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से व्यक्ति पर होती है। चलिए आपको संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और इसकी पूजा की विधि बताते हैं।
ये है शुभ मुहूर्त संकष्टी चतुर्थी का
5 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह 11 बजकर 20 मिनट तक का मुहूर्त है। फिर रात 8 बजकर 12 मिनट को चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय है। जबकि सोमवार सुबह 10 बजकर 2 मिनट से चतुर्थी तिथि आरंभ है। मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर तिथि समाप्त है।
संकष्टी चतुर्थी की पूजा करें ऐसे
1. गणेश भगवान की पूजा का विधान संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन होता है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त पर इस दिन उठें और स्नान आदि नित्यकर्मों से निवृत्त होकर करें। उसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहने।
2. उसके बाद साफ करें अपने घर की पूर्व दिशा को। फिर एक साफ चौकी पर वहां बैठें।
3. इसके बाद साफ पीला कपड़ा चौकी पर बिछाएं। उस पर स्वास्तिक कुमकुम से बनाएं। इसके बाद फूल और अक्षत स्वास्तिक पर समर्पित करें। फिर पूजा करें।
4. उसके बाद चौकी पर गणपति बप्पा की तस्वीर या प्रतिमा को स्थापित करें। कुमकुम या चंदन का तिलक उसके बाद भगवान गणेश जी को लगाएं।
5. फिर फूलों का हार भगवान गणपति पर समर्पित करें। उसके बाद गणेश जी के सामने दीपक,धूप और अगरबत्ती जलाएं। गणेश की का फिर ध्यान करें।
6. इसके बाद गणेश चालीसा,गणेश स्तुति,गणेश स्तोत्र और गणेश मंत्रों का पाठ फिर करें।
7. उसके बाद गणेश जी की आरती पूरे सच्चे मन से गाएं। लड्डू या मोदक का भोग उन्हें लगाएं। दरअसल गणेश जी को यह बहुत पसंद हैं।
8. गणेश जी की पूजा व्रत के दिन शाम को इसी विधि के अनुसार करें। उसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें।