बीते शनिवार 81 साल की दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की दिल का दौरा पडऩे से मौत हो गई। काफी लंबे समस से शीला दीक्षित बीमार चल रहीं थीं। शीला दीक्षित को ओखला के एस्टकॉर्ट अस्पताल में शनिवार की सुबह भर्ती हुईं थीं। वहां पर ही उनका दिल का दौरा पडऩे से निधन हो गया।
भारत के राजनीतिक जीवन में वह हमेशा पहले स्थान पर रहीं हैं। साथ ही कांग्रेस की पिछली पीढ़ी में एक कुशल प्रशासक, नेता और संगठनकर्ता के रूप में उन्हें पहचाना जाता है। लेकिन उनकी निजी जिंदगी बिल्कुल ही अलग थी। हम आपको शीला दीक्षित की लवस्टोरी के बारे में कुछ खास जानकारी देने जा रहे हैं।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से शीला दीक्षित ने ग्रेजुएशन की थी। ग्रेजुएशन में उन्होंने प्राचीन इतिहास में पढ़ाई की थी और उस दौरान उनकी विनोद दीक्षित से पहली बार मुलाकात हुई थी। बता दें कि विनोद दीक्षित उस समय के कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता उमाशंकर दीक्षित के इकलौते बेटे थे।
एक बार मीडिया से बात करते हुए शीला दीक्षित ने बताया था कि हम इतिहास की एमए क्लास में साथ-साथ थे। मुझे वो कुछ ज्यादा अच्छे नहीं लगे। मुझे लगा ये पता नहीं वो अपने-आप को क्या समझते हैं। थोड़ा अक्सड़पन था उनके स्वभाव में । एक बार हमारे कॉमन दोस्तों में आपस में गलतफहमी हो गई और उनके मामले को सुलझाते-सुलझाते हम-दूसरे के नजदीक आ गए।
ऐसे किया था बस में प्रपोज
बस में बैठकर फिरोजशाह रोड पर विनोद अक्सर शीला के साथ जाते थे, ताकि शीला के साथ विनोद ज्यादा से ज्यादा समय बिता सकें। उस मामले पर बात करते हुए शीला ने बात करते हुए कहा था, हम दोनों डीटीसी की 10 नंबर बस में बैठे हुए थे। अचानक चांदनी चौक के सामने विनोद ने मुझसे कहा, मैं अपनी मां के कहने जा रहा हूं कि मुझे वो लड़की मिल गई है जिससे मुझे शादी करनी है। मैंने उनसे पूछा, क्या तुमने लड़की से इस बारे में बात की है? विनोद ने इसका जवाब देते हुए कहा था, नहीं, लेकिन वो लड़की इस समय मेरी बगल में बैठी हुई है।
शीला को जब विनोद ने शादी के लिए प्रपोज किया थो वह हैरान रह गई थीं। शीला ने विनोद को उस समय कोर्ई जवाब नहीं दिया था लेकिन घर जाकर वह खुशी के मारे बहुत नाची थीं। शीला ने विनोद के शादी के प्रपोजल के बारे में अपने माता-पिता को नहीं बताया था क्योंकि वह यह जानने के बाद लड़का क्या करता है उसके बारे में पूछते। उस समय विनोद अपनी पढ़ाई कर रहे थे और उन्हें चुप रहना ही सही लगा।
शीला और विनोद की दो साल बाद शादी हो गई थी। विनोद के परिवार में शीला और उनकी शादी का विरोध हुआ था क्योंकि विनोद ब्राह्मïण थे और शीला पंजाबी। आईएएस की परीक्षा विनोद ने पास की और उन्हें नौंवा स्थान पूरे भारत में मिला। उत्तर प्रदेश काडर विनोद को मिला।