हिरण की एक सिल्वर-बैकेड चेवरोटाइन प्रजाति है। इस प्रजाति के हिरण आकार में छोटे होते हैं जिसकी वजह से इन्हें माउस हिरण के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि हिरण की यह प्रजाति अब डायनासोर की तरह विलुप्त होने वाली है। यह हिरण आगे से बिल्कुल चूहे जैसे दिखते हैं और चांदी जैसा रंग इनकी पीठ का होता है।
इसी वजह से इन्हें सिल्वर-बैकेड चेवरोटाइन या माउस हिरण भी कहते हैं। एक अध्ययन नेचर इकोलॉती एंड इवोल्यूशन जर्नल में छपा है उसके मुताबिक,लगभग 30 साल पहले इस जानवर को देखा गया था। वियतनाम के उत्तर पश्चिमि जंगल में इस जानवर को दोबारा से देखा गया है।
जिन जानवरों की प्रजातियां खतरे में हैं उसकी रेड लिस्ट यानी विलुप्त होने वाली श्रेणी में इस जानवर को रखा गया है। प्रकृति को जो संरक्षण इंटरनेशनल लेवल पर रखती है। उसने इस जानवर को रेड लिस्ट में रखा है। साल 1910 में पहली बार सिल्वर-बैकेड चेवरोटाइन की जानकारी हुई थी। वियतनाम के हो ची मिन्ह सिटी से लगभग 450 किलोमीटर दूर न्हा ट्रांग के पास कुछ जानवरों के साथ हिरण मिला था।
इस प्रजाति के बारे में साल 1990 के बाद से विशेषज्ञों को कुछ भी पुष्टि नहीं हुई थी जिसके बाद उन्होंने यह सोच लिया था कि इन जानवरों को अवैध शिकार हो गया होगा जिसकी वजह से यह विलुप्त हो गए। जंगली जानवरों के विलुप्त होने की दो कारण हैं। पहला की जंगलों को अंधाधूंध काटा गया जिससे उन्हें जमीन मिल सके इसकी वजह से जानवरों का स्थाल ही बदल गया। दूसरा कारण यह है कि कुछ प्रजातियां ऐसी हैं जो अब पृथ्वी पर नहीं दिखाई देती क्योंकि उनका अवैध तरीके से शिकार कर दिया गया।
सिल्वर-बैकेड चेवरोटाइन के मामले में एन नगुयेन ने कहा था कि वह अभी भी पृथ्वी पर हैं वो विलुप्त नहीं हुए हैं। स्थानीय ग्रामीणों के साथ नगुयेन उस जगह पर विशेषज्ञों को लेकर गए जहां पर इस प्रजाति के हिरण को देखा गया था। इस हिरण के बारे में किसी तरह की जानकारी हासिल करने के लिए मोशन-एक्टिवेटिड कैमरे उस जंगल में 30 से ज्यादा लगा दिए।
इस मामले में नगुयेन ने बताया कि इसकी जांच के लिए जब हमने अपना कैमरा ट्रैप किया तो हम हैरान रह गए। कैमरे में हमने सिल्वर फ्लैक्स के साथ सिल्वर-बैकेड चेवरोटाइन की तस्वीरें भी देखीं। अवैध शिकार का व्यापार दक्षिण एशिया खासतौर पर वियतनाम में फैला हुआ है। सिल्वर-बैकेड चेवरोटाइन की आबादी अवैध शिकार की वजह से विलुप्त होने की कगार पर आ चुकी है।