दो ऐसे युवक जिनकी उम्र अभी बहुत ज्यादा नहीं महज 17-18 साल है इनका नाम सुन मिंग और किंग पोंग है। यह दोनों युवक हांगकांग यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं। इन दोनों ने मिलकर टाइटेनियम डीऑक्साइड पर रिसर्च की है। तब जाकर उन्होंने पाया कि अगर इसका एक डोर हैंडल बना दिया जाए तो लोगों की जिंदगी में बदलाव लाया जा सकता है।
यह अनोखा डोर करता है हाथों को सैनेटाइज
इन दोनों ने पाया है कि टाइटेनियम बैक्टीरिया मारने में काफी ज्यादा हम सभी की मदद करता है। इसमें से निकलने वाली यूवी लाइट्स एक तरीके से हाथ को सैनेटाइज कर देती है।
कांच के एक सांचे के भीतर उन्होंने टाइटेनियम को डाल दिया जिसके बाद उसे ऊपर से कवर कर दिया है। अब जो भी इस डोर को हाथ लगाता है उसके हाथ खुद ही सैनेटाइज हो जाएंगे। यानी इसका मतलब तो यही हुआ कि बैक्टीरिया मुक्त।
मिंग और पोंग ने बताया है कि ज्यादातर बैक्टीरिया हाथ से ही फैलते हैं। हम सभी लोग एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं। बीमार होते हैं। इन दोनों का कहना है कि आज पब्लिक प्लेस को बैक्टीरिया मुक्त करने के लिए न जानें कितने तरह के कैमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में मिंग और पोंग का यह तरीका सबसे अलग है। अगर इस डोर हैंडल को हाथ लगा दिया तो दरवाजे पर बैक्टीरिया टिकने का सवाल ही पैदा नहीं होता है।
पसंद आया लोगों को यह प्रोजेक्ट
इस डोर हैंडल वाले प्रोजेक्ट को James Dyson Awards के लिए भेजा गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वैज्ञानिक इसपर अपनी कैसी प्रतिक्रिया देते हैं और यह डोर हैंडल कितना ज्यादा लोगों के लिए लाभदायक सिद्घ हो पाएगा।