गुमला जिले के सिसई प्रखंड के दाहूटोली गांव की रहने वाली कॉलेज की छात्रा मंजू उरांव ने एक माह पहले खेतों में ट्रैक्टर चलाया तो ग्रामीणों ने इसे अपशकुन बताया, जुर्माना लगाया और बहिष्कार का आदेश दिया। लेकिन इस फरमान के खिलाफ अडिग रहने वाली मंजू अब गांव में खुशहाल बदलाव की ब्रांड एंबेसडर बन रही हैं।
आधुनिक तरीकों से खेती के प्रति उनके जुनून को देखते हुए राज्य सरकार के कृषि विभाग ने गांव को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना तैयार की है। विभाग ने स्नातक प्रथम वर्ष की छात्रा मंजू को इस प्रस्तावित उत्कृष्टता केंद्र का क्लस्टर प्रमुख बनाने का निर्णय लिया है।
आदर्श गांव के रूप में विकसित होगा दाहूटोली
कृषि विभाग दाहूटोली गांव को एक मॉडल के रूप में विकसित करेगा, जहां विशेषज्ञों की देखरेख में कृषि के लिए आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। इस वर्ष यहां 25 एकड़ भूमि पर सिंचाई, नर्सरी, शॉट ग्रेडिंग, पॉली हाउस और उन्नत उर्वरक-बीज की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। कृषि वैज्ञानिक गांव के किसानों को उन्नत खेती का प्रशिक्षण भी देंगे।
प्रगतिशील किसान के रूप में स्थापित होना चाहती हैं मंजू
मंजू उरांव ने 10 एकड़ जमीन लीज पर लेकर हाईटेक तरीके से खेती शुरू कर दी है। मंजू कहती हैं कि उनका सपना खुद को एक प्रगतिशील किसान के रूप में स्थापित करना है। वह बेहद खुश हैं कि उनके गांव को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में चुना गया है। उन्हें लगता है कि इससे गांव की तस्वीर बदल जाएगी। गांव के किसान अगर आधुनिक तरीकों से अवगत होंगे तो रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।
बीए छात्रा
मंजू गुमला के कार्तिक उरांव कॉलेज में स्नातक प्रथम वर्ष की छात्रा है। उनके माता-पिता किसान हैं। मंजू के माता-पिता किसान हैं। सालों से परिवार के सदस्य पारंपरिक तरीके से खेती करते आ रहे हैं। न सिंचाई की सुविधा और न ही खेती की नई तकनीकों का ज्ञान। इससे किसी तरह घर-घर जा रहा था। मंजू ने तय किया कि वह पारंपरिक पद्धति को बदलकर नई तकनीक से खेती करेगी। उनके कहने पर दो साल पहले परिवार ने गांव में एक और 10 एकड़ जमीन लीज पर ली थी। धान, मक्का, टमाटर, आलू और अन्य फसलों की खेती के अच्छे परिणाम मिले, इसलिए मंजू ने इस साल खेती के लिए एक पुराना ट्रैक्टर खरीदा।
जब मैं ट्रैक्टर लेकर बाहर निकली तो अफरा-तफरी मच गई
हाल ही में उसने खुद ट्रैक्टर से अपने खेतों की जुताई शुरू कर दी थी। इतनी हिम्मत अब तक गांव में किसी महिला ने नहीं की थी। रूढि़वादी सोच में फंसे ग्रामीणों को यह बात नागवार गुजरी। इस पर पिछले माह गांव में पंचायत बुलाई गई थी। सैकड़ों महिला-पुरुष एकत्रित हो गए। सभी ने एक स्वर में कहा कि आज तक किसी भी लड़की ने खेतों की जुताई नहीं की है। मंजू ने इस नियम को तोड़ा है। यह अशुभ संकेत है।
पंचायत ने लिया जुर्माना
पंचायत ने मंजू पर जुर्माना लगाते हुए माफी मांगने का आदेश दिया। कहा गया कि ऐसा नहीं करने पर उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। जब मंजू को पंचायत के इस फरमान की खबर मिली तो उसने दो टूक जवाब दिया कि वह हर हाल में खेती करती रहेगी। जब यह खबर मीडिया में आई तो मंजू के साहस की सराहना की गई।
अब बदली तस्वीर
गांव में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया. सभी ने गांव के लोगों को समझाया कि मंजू जो कर रही है उससे गांव का गौरव बढ़ेगा. जल्द ही गांव के लोगों को यह बात समझ में आ गई। आज दाहुतोली को मंजू का गांव कहा जाता है।