हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा अब पुल बन चुके हैं। हर रोज हम किसी न किसी पुल के ऊपर से कारों, बसों, ट्रकों और रेलगाड़ियों के जरिए जाते हैं। कुछ पुल हमें प्रकृति ने दिए हैं तो वहीं कुछ पुल इंसानों की देन हैं।
हमारी जिंदगी को इन पुलों ने बहुत आराम दे दिया है। इतना ही नहीं इन पुलों ने समुद्र के ऊपर से भी हमारा सफर तय कर दिया है। आज हम आपको देश-दुनिया के कुछ पुलों के बारे में बताने जा रहे हैं।
1. हांगकांग-जुहाई-मकाओ ब्रिज
चीन ने समंदर के ऊपर दुनिया का सबसे लंबा पुल बनाया है। इस पुल का नाम हांगकांग-झुहाई एंड मकाऊ ब्रिज है। इस ब्रिज की लंबाई 55 किलोमीटर है। साउथ चाइना सी पर पर्ल रिवर डेल्टा के पूर्वी और पश्चिमी छोर को जोड़ता है। इस पुल में 4 लाख टन का स्टील लगा हुआ है जो इसे खास बनाता है। यह पुल 8 की तीव्रता वाले भूकंप को आसानी से झेल सकता है।
2. किंगडाओ हैवान
किंगडाओ हैवान ब्रिज को भी चीन ने ही बनाया है। इसकी लंबाई लगभग 40 किलोमीटर की है। इस पुल की सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसमें हजारों की संख्या में खंबे लगे हैं। इस पुल की मजबूती को देखकर कहा जाता है कि यह 8 मैग्नीट्यूड का भूकंप भी बरदाशत कर लेगा। इस पुल को 2011 में आम लोगों के लिए चाालू किया गया था।
3. बांद्रा-वर्ली सी लिंक
मुंबई में माहिम वे पर ब्रांद्रा और वर्ली को इस पुल ने जोड़ा है। यह पुल भारत के सबसे सुंदर पुलों की लिस्ट में आता है। ब्रांद्रा-वर्ली सी लिंग भारत का सबसे बड़ा समुद्री ब्रिज भी है। इस पुल का नाम राजीव गांधी सेतु भी है। इस पुल की लंबाई 5.6 किलोमीटर की है। यह पुल 8 लेन ट्रैफिक को कंट्राेल कर सकता है। इस पुल से आप 45 मिनट के सफर को 6 मिनट में होती है।
4. ऐरोली ब्रिज
ऐरोली ब्रिज की लंबाई 3.8 किलोमीटर की है और यह दिखने में बेहद सुंदर और खूबसूरत है। जो लोग इस पुल के ऊपर से गए हुए हैं वह हमेशा लोगों को यहां जाने की सलाह देते हैं। मुंबई का यह दूसरा ब्रिज है जो नवी मुंबई और मुंबई को जोड़ता है। इस पुल के बनने के बाद ठाणे और बेलापुर के लोगों को बहुत फायदा हुआ है।
5. गोल्डन गेट पुल
गोल्डन गेट पुल 1937 में बना था। लेकिन आज भी इस पुल की सुंदरता वैसे की वैसे ही है। इस पुल ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को और सैन फ्रांसिस्को खाड़ी के किनारों को जोड़कर एक नया इतिहास बनाया है। जब इस पुल को बनाया जा रहा था तो सबने इसका विरोध कया था। इतना ही नहीं इस पुल को ना बनाने के लिए लोगों ने विरोध-प्रदर्शन तक किए थे। लेकिन बाद में इसे बनाया गया और आज भी यह है।