प्राचीनकाल और आयुर्वेद को कई असाध्य रोगों को दूर करने का एक अच्छा माध्यम बताया गया है। हम बात कर रहे हैं भोलेनाथ की पूजा में उपयोग किए जानें वाले कुछ फूल-पत्तों की। क्या आपको मालूम है कि जिस भांग-धतूरे से शिव शंकर प्रसन्न होते हैं,उन सभी में कुछ ऐसे गजब के औषधीय गुण छिपे हुए हैं जो कई बीमारियों को जड़ से दूर कर देते हैं। तो चालिए आपको बताते हैं उन 5 फूल-पत्तों के बारे में...
1.बेलपत्र
भगवान शिव की पूजा में सबसे पहले प्रयोग किया जानें वाला बेलपत्र अनेक प्रकार की औषधिय गुण से भरमार है। बुखार हो जानें पर बेलपत्र की पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से फायदा होता है। इसके अलावा बदलते मौसम की वजह से अगर आपको भी सर्दी-जुकाम की शिकायत हो गई है तो बेलपत्र के रस में शहद मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
2.भांग
भगवान शिव को भांग सबसे प्रिय है। हलाहल विष पीने के बाद जब उनका कंठ नीला पड़ गया तब भांग के पत्तों का उपयोग औषधि के रूप में किया गया था। इस वजह से शिव पूजा में इनका प्रयोग करना जरूरी है। अगर किसी को सिरदर्द की परेशानी भी है तो ऐसे में भांग के पत्ते पीसकर उसके रस की कानों में एक-दो बूंद डाल दी जाए तो जल्द ही आराम मिल जाता है।
3.धतूरा
भगवान शिव की पूजा में धतूरे फल का भी इस्तेमाल किया जाता है। धतूरे के रस को सिर पर लगाने से डैंड्रफ की परेशानी खत्म हो जाती है साथ ही गंजापन भी दूर होता है। इसके अलावा धतूरे के रस में तिल का तेल मिक्स करके गठिया,जोड़ों के दर्द में भी काफी असरदार होता है। इसके प्रयोग से जोड़ों के दर्द के साथ गाठिया में भी राहत मिलती है।
4.आक के पत्ते
आक के पत्ते और फूल का प्रयोग भगवान शिव की पूजा में किया जाता है। अगर कोई व्यक्ति तेज बुखार से तड़प रहा है तो ऐसे में इसके फूलों के रस का सेवन करने से जल्दी ही बुखार ठीक हो जाता है। वैसे आक के पत्तों का उपयोग जोड़ो के दर्द में भी किया जाता है।
5.सदाबहार के फूल
भगवान शिव की पूजा में सदाबहार के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से निजात पाने के लिए कई आयुर्वेद विशेषज्ञ सदाबहार के फूलों का प्रयोग करते हैं,इसकी पत्तियों से तैयार किया गया रस कैंसर की पहली स्टेज वाले पेशेंट्स को दिया जाता है।