इस किसान ने ग्लूकोज की खाली बोतलों से बनाया ड्रिप सिस्टम, इतने कमाए - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

इस किसान ने ग्लूकोज की खाली बोतलों से बनाया ड्रिप सिस्टम, इतने कमाए

भारत देश में अधिकतर लोग खेती करते हैं। उन्हें अन्नदाता कहते हैं। हालांकि सूखा भी उनकी जमीन पर आए दिन होता है और बाढ़ भी आती है। वहीं कर्ज के फांस भी उनके गले में लगातर कसती

भारत देश में अधिकतर लोग खेती करते हैं। उन्हें अन्नदाता कहते हैं। हालांकि सूखा भी उनकी जमीन पर आए दिन होता है और बाढ़ भी आती है। वहीं कर्ज के फांस भी उनके गले में लगातर कसती रहती है लेकिन अन्न वह फिर भी बोता है जिससे दुनिया की भूख सम्पात हो जाए। देश के किसान के लिए पानी की किल्ल्त सबसे बड़ी समस्या है। इसी बीच एक शानदार तरीका मध्यप्रदेश के एक किसान ने निकाल दिया है। दरअसल  खाली ग्लूकोज की बोतलों से उसने ड्रिप सिस्टम बनाया। 
1596178423 farmer
ये मामला कहां का है 
एक न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले झाबुआ का यह मामला है। दरअसल ये एक पहाड़ी क्षेत्र है। वहां के रहने वाले रमेश बारिया जो किसान हैं और इस परेशानी का उपाय उन्होंने निकाल लिया। 

ये सब्जियां लगाई 
NAIP यानी राष्ट्रीय कृषि नवाचार परियोजना के कृषि वैज्ञानिकों से साल 2009-2010 में संपर्क किया। इस दौरान उन्हें अपने इलाके की सभी परेशानियां उन्होंने बताई। उसके बाद उन्हें वैज्ञानिकों ने गाइडेंस दी। उन्होंने कहा कि सब्जी की खेती सर्दी और बरसात के मौसम में छोटे से पैच में शुरू करे। उनकी जमीन यह खेती करने के लिए बिलकुल उचित थी। करेला, स्पंज लौकी उगाना  उन्होंने तो यहां शुरू किया और अपनी एक छोटी नर्सरी भी बनाई। 
1596178449 gulucose bottle
कमी हो रही थी पानी की 
दरअसल पानी की भारी कमी मानसून में देरी होने के कारण हो रही थी। फसल ऐसे में खराब होने का उन्हें दर था। इसलिए विशेषज्ञों का सुझाव फिर से बारिया ने लिया। उन्होंने कहा कि वेस्ट ग्लूकोज की पानी की बोतलों की मदद वह ले सकते हैं। एक सिंचाई तकनीक उन्होंने इससे अपनाई। 
1596178523 drip system
बोतलें लगाई ऐसे 
ग्लूकोज की बोतलें पहले तो उन्होंने 20 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से खरीदी। उसके बाद ऊपरी आधे हिस्से को एक इनलेट बनाने के लिए काटा। इसके बाद पौधों के पास उन्हें फिर लटका दिया। पानी का प्रवाह बूंद-बूंद से इन बोतलों के जरिए पौधों में आता है। 
1596178757 gulocose bottles
बच्चे स्कूल जाने से पहले पानी भरते
बता दें कि सुबह स्कूल जाने से पहले उनके बच्चे इन पौधों पर रोज पानी भरते। 0.1-हेक्टेयर भूमि से 15,200 रुपये का फायदा इस तकनीक से वो सीजन में उठाने में सफल हुए। इससे पौधे भी नहीं सूखे और पानी की बर्बादी भी नहीं हुई। इस तकनीक को गांव के बाकी लोगों ने भी अपनाया। उन्होंने यूज में वेस्ट प्लास्टिक को भी लिया। जिला प्रशासन और मध्य प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री ने रमेश बारिया की जमकर तारीफ की और उन्हें प्रमाण पत्र से सम्मानित भी किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2 × 2 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।