बहुत से ऐसे लोग जो अपनी कमजोरी को अपनी जिंदगी बनाकर जीने की ख्वाहिश रखते हैं। इन्हीं कुछ चुनिंदा और हिम्मतवाले लोगों में जितेंद्र वर्मा का नाम भी शामिल है,जो सारनाथ के हीरामनपुर गांव के रहने वाले हैं। चौंका देने वाली बात यह है 17 सालों से बेड पर होने के बावजूद उनका ज़िंदगी जीने का हौसला जरा भी कम नहीं हुआ।
नहीं करता निचला हिस्सा काम
दरअसल जितेंद्र के शरीर का निचला हिस्सा काम नहीं करता। इसके बाद भी उनका मनोबल जरा सा भी डगमगाया नहीं है और उन्होंने बेड पर लेटे-लेटे सिलाई करने का फैसला किया है। ताकि वो कुछ पैसे कमाए और अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें। इसके अलावा उन्होंने कोरोना संकट को देखते हुए मास्क तैयार करके लोगों को फ्री में बाटें हैं।
खबर के मुताबिक जितेंद्र 23 फरवरी 2003 को छत से नीचे गिर गये थे। इस हादसे के बाद उनकी रीढ़ की हड्डी पर गहरी चोट आई और फिर उनके शरीर के निचले हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। इस एक्सीडेंट के बाद से न वो चल फिर सकते हैं और न ही आराम से बैठ सकते हैं।
इस हादसे के बाद से वो टूट जरूर गए थे, लेकिन उन्होंने जरा भी हिम्मत नहीं हारी और सिलाई करके नये सिरे से जिंदगी जीने की अपने जीवन की शुरूआत करी है। वैसे कुछ भी हो 17 साल से जितेंद्र वर्मा जिस तरह बेड पर लेट कर सिलाई कर रहे हैं उनके जज्बे को वाकई हम सलाम करते हैं।