मृत्यु तो एक दिन सभी की आनी है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा जब शरीर से निकल जाती है तो कुछ समय तक अचेत स्थिति में रहती है।हिंदू, जैन और बौद्ध धर्मग्रंथों के अनुसार मरने के बाद मृत आत्मा का अस्तित्व विद्यामान रहता है। सभी धर्म आत्मा को अजर और अमर मानते हैं। आत्मा कर्मों अनुसार अपनी अपनी गति को प्राप्त करती है और फिर पुन: मृत्युलोक में आकर दूसरा जन्म ग्रहण करती है। चेतना आने पर आत्मा अपने शरीर को देखकर मोहवश अपने परिवार और अपने शरीर को देखकर दुःखी होती रहती है और परिजनों से बात करना चाहती, फिर से अपने शरीर में लौटने की कोशिश करती है लेकिन शरीर में फिर से प्रवेश नहीं कर पाती है। इसके बाद यम के दूत आत्मा को अपने साथ तीव्र गति से लेकर यम के दरबार में पहुंचा देते हैं।
बुजुर्गों को अक्सर ये भी कहते सुना होगा, कि पितृ पक्ष में जो लोग प्राण त्यागते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्वर्ग के दरवाजे उनके लिए खुले रहते हैं। आइये बताते हैं कि क्या है ये मान्यता और इसकी सच्चाई।
पुराणों के अनुसार जन्म मृत्यु का सिलसिला लगातार चलता रहता है, लेकिन इस बंधन से मुक्ति व्यक्ति के कर्म दिलाते हैं।अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति को स्वर्ग मिलता है और बुरे कर्म करने वालों को नरक।
प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद से लेकर दर्शनशास्त्र, पुराण, गीता, योग आदि ग्रंथों में पूर्वजन्म की मान्यता का प्रतिपादन किया गया है।कहते हैं जो श्राद्ध पक्ष में मरता है व जिनका गया जी में पिंडदान होता है उनका मनुष्य के रूप में पुर्नजन्म होता है। शरीर की मृत्यु जीवन का अंत नहीं है। ये जन्म जन्मांतर की श्रृंखला है। 84 लाख योनियों में जीवात्मा भ्रमण करती है।आत्मज्ञान होने के बाद ही ये श्रृंखला रुकती है, जिसे मोक्ष के नाम से जाना जाता है।
यदि कोई भी व्यक्ति पितृ पक्ष में प्राण त्यागता है, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।कारण है कि पितृ पक्ष के दिनों में भले ही कोई शुभ कार्य नहीं होते… तो उस व्यक्ति की मृत आत्मा अपनी दिवंगत मृत परिजनों की आत्माओं के साथ संबंध जोड़ने में सफल होती है। जिससे उस दिवंगत आत्मा की जो परेशानी या बैचेनी है,वो शांत हो जाती हैऔर अपनी दिवंगत मृत आत्माओं का सान्निध्य पाकर अपनी आत्म उन्नति का मार्ग प्राप्त करती है, इसलिए कहा गया है कि पितृपक्ष में मरने वालवालों को परलोक मिलता है।
। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसे लोग बहुत भाग्यशाली माने जाते हैं। पितृपक्ष में प्राण त्यागने वाले लोगों को स्वर्ग में स्थान मिलता है।