वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पूजा के स्थान का बहुत महत्व होता है। घर में बने मंदिर से जुड़ी गलतियां बड़ा नुकसान पहुंचा सकती हैं। यहां तक किहमारे जीवन में कई तरह की परंशनियां भी लेकर आ सकती है जैसे कि घर में लड़ाई झगड़ा, आर्थिक परेशानी, घर के सदस्यों का बार बार बीमार होना।
भगवान की प्रतिमा के दर्शन मात्र से ही कई जन्मों के पापों का प्रभाव नष्ट हो जाता है। इसी वजह से घर में भी देवी-देवताओं की मूर्तियां रखने की परंपरा है। पर गर के मंदिर में भगवान की मूर्तियां रखते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
घर में पूजा स्थल पर कभी भी खंडित मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। भगवान की खंडित मूर्ति और फटे हुए चित्र को पीपल के पेड़ में या नदी में बहा देना चाहिए।
मंदिर में बैठे हुए हनुमानजी की प्रतिमा रखना श्रेष्ठ होता है। घर के अन्य भाग में हनुमानजी ऐसी प्रतिमा रखी जा सकती है, जिसमें वे खड़े हुए हों।
घर के मंदिर में एक ही भगवान की एक से ज़्यादा मूर्तियां रखने से वास्तु दोष होता है। इसलिए घर के मंदिर में एक भगवान की केवल एक ही मूर्ति रखे।
घर में बैठे हुए गणेशजी तथा कार्यस्थल पर खड़े हुए गणेशजी का चित्र लगाना चाहिए ।
घर के मंदिर में रखे गए शिवलिंग का आकार हमारे अंगूठे से बड़ा नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही घर के मंदिर में एक शिवलिंग ही रखा जाए तो वह ज्यादा बेहतर फल देता है।
भगवान के रौद्र रूप का चित्र या प्रतिमा घर के मंदिर में नहीं लगानी चाहिए। रौद्र रूप उग्र ऊर्जा का प्रतीक है। घर में सदैव भगवान के सौम्य स्वरूप के ही दर्शन करने चाहिए। इससे मन में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
पीठ दिखाती हुई भगवान की मूर्ति को रखना भी अशुभ माना जाता है। इसे घर में रखने से दुर्भाग्य आ जाता है।
पूजा स्थल में एक ही भगवान की दो प्रतिमाएं आस-पास या आमने-सामने रखना अशुभ माना जाता है। ऐसा होने से गृहक्लेश बना रहता है।