हम सभी ने अपने स्कूल के दिनों में मेरे पसंदीदा शिक्षक पर जरूर निबंध लिखे हैं। हम में से कुछ ने इस विषय पर बेमन से निबंध लिखा तो कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने पसंदीदा टीचर के बारे में मन से बताया।
एक अच्छे टीचर की चाहत हर किसी को होती है लेकिन हम में से ऐसे कई लोग हैं जिनकी यह सपना ही बन कर रह गया। वहीं कुछ लोगों की जिंदगी में ऐसे भी टीचर आए जिन्होंने उनकी जिंदगी को एक नया मोड़ दे दिया। उन टीचरों में आशीष डंगवाल का भी नाम शामिल हो गया है।
ढोल-नगाड़ों के बीच बही आंसुओं की धारा
आशीष डंगवाल का स्वभाव सरल, मिलनसार जिसने बच्चों के साथ बड़ांे का दिल भी जीत लिया। उत्तरकाशी के भंकोली गांव में एक सरकारी स्कूल में 3 साल बाद आशीष डंगवाल जा रहे थे जहां पर उत्सव के साथ माहौल बहुत दुखथ था। लोगों ने अपने टीचर को जुलूस निकाल कर विदाई दी और सबकी आंखें नम नजर आईं।
आशीष ने जीआईसी, भंकोली में सेवा दीं
सरकारी स्कूल में आशीष टीचर हैं। आशीष की विदाई का जब समय आया तो पूरा गांव ही आ गया। उस जुलूस में बुजुर्ग, पुरुष और महिलाएं सब थे। आशीष के जाने पर जहां बच्चे रो रहे थे वहीं कुछ अभिभावक भी थे जो रो पड़े। उन सभी के पास शब्द नहीं थे। जीआईसी भंकोली में आशीष टीचर के तौर पर काम करते थे। अब वहां से उनका ट्रांसफर हो चुका है।
आशीष ने कहा, मेरे शब्द फीके हैं
आशीष की विदाई की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। फेसबुक पर आशीष डंगवाल ने पोस्ट लिखकर अपने दिल का हाल बताया है। एक ऐसा टीचर जब उसके जाने का समय आया तो बच्चे लिपट-लिपटकर कर रोए। अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट लिखते हुए आशीष ने कहा, मेरी प्यारी, केलसु घाटी, आपके लगाव, आपके सम्मान, आपके अपनेपन के आगे मेरे सारे शब्द फीके हैं। सरकारी आदेश को मानना मेरी मजबूरी थी, इसलिए जाना पड़ा। मुझे इस बात का बहुत दुख है। आपके साथ बिताए 3 साल मेरे लिए यादगार हैं।
आज भी हम सब दावों में ही उलझे हुए हैं
पिछले 72 साल से ज्यादा समय हो चुका है लेकिन आज भी हम शिक्षा में सुधार पर ही अटके हुए हैं। कई बार हमें सरकार के उन बड़े नेताओं को कहते हुए सुना हैं कि देश का भविष्य बच्चे और युवा हैं।
हर स्कूल में आशीष जैसे टीचर क्यों नहीं हैं?
बेरोजगारी हमारे देश में चरम सीमा पर आ चुकी है और इसके पीछे का बड़ा कारण अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाना है। आशीष डंगवाल जैसे महान टीचर हर स्कूल में नहीं हैं लेकिन यह सवाल हम आप सब से पूछे रहे हैं कि आखिर क्यों नहीं हैं होना चाहिए।
फेसबुक पोस्ट पढ़ें आशीष डंगवाल का
The man in these pictures isn’t a celebrity or a politician. Ashish Dangwal Ji is a government school teacher in Uttarakhand.The whole village gathered to bid him a teary eyed farewell as he bid adieu after 3 yrs of selfless service at the Govt. Inter College. #Respect pic.twitter.com/n0YsC9YWCq
— Neha Joshi (@The_NehaJoshi) August 23, 2019
एक असली शिक्षक को ही मिलता है इतना प्यार। ये तस्वीर उनके कार्य के प्रति सच्ची निष्ठा व पूर्ण समर्पण भाव को प्रदर्शित करता है। बहुत मुश्किल है ऐसे शिक्षक मिलने।
सल्यूट आशीष डंगवाल सर ?? pic.twitter.com/RtlOx9EEsI— Girdhar Bisht (@BishtGirdhar07) August 23, 2019