आज के समय में टीम इंडिया में जगह पाना बेहद ही मुश्किल हो चूका है क्योंकि भारतीय क्रिकेट में एक से बढ़ कर एक नया टेलेंट लगातर आ रहा है। टीम इंडिया का अगर कोई खिलाडी चोटिल हो जाता है तो उससे बेहतर खिलाडी उसको रिप्लेस करने के लिए तैयार दिखाई पड़ता है। टीम में जगह बनाने के लिए चल रहे ऐसे मुश्किल मुकाबलों के बीच, कई खिलाडी लोगों की नज़रों से बच जाते है और पूरी उम्र क्रिकेट खेलने के बावजूद उनके टेलेंट के साथ न्याय नहीं हो पाता। ऐसे ही एक खिलाडी का नाम है सिद्धार्थ कौल।
तेज गेंदबाज सिद्धार्थ कौल ने भारतीय टीम में नहीं चुने जाने को लेकर अपना दर्द जाहिर किया है। उनका कहना है कि लगातार प्रदर्शन करने के बाद भी उनकी अनदेखी की गई और यह अब भी जारी है। सिद्धार्थ कौल ने भारत के लिए तीन टी20 और तीन वनडे खेले हैं। उन्हें वनडे में कोई विकेट नहीं मिला जबकि टी20 में चार विकेट मिले। लेकिन इससे ज्यादा उन्हें खेलने के मौके नहीं मिले। वो 2008 में अंडर 19 वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे हैं। यह टूर्नामेंट भारत ने विराट कोहली की कप्तानी में जीता था। कोहली आगे चलकर भारत की सीनियर टीम के कप्तान भी बने। लेकिन कौल के लिए टीम इंडिया में लगातार खेलना ही सपना बन गया।
अपने हाल के एक इंटरव्यू में सिद्धार्थ कौल ने कहा कि आईपीएल के साथ ही घरेलू क्रिकेट को भी सेलेक्शन का पैमाना मानना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘डॉमेस्टिक क्रिकेट पैमाना होना चाहिए क्योंकि कुछ खिलाड़ी जो आईपीएल नहीं खेलते हैं उनका प्रदर्शन भी अच्छा होता है। वे किसी दौरे का हिस्सा नहीं बन पाते। अगर आप मेरा पिछले साल का ट्रेक रिकॉर्ड देखेंगे तो मैंने पांच मैच खेले और 28 विकेट लिए। इनमें से तीन बार एक पारी में पांच विकेट और एक हैट्रिक शामिल थी. टर्निंग ट्रेक पर मैंने दो फाइव विकेट हॉल लिए। एक बार ऐसा हरी घास वाली पिच पर किया। फिर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया। मैं इंडिया ए में भी नहीं चुना गया।’