नई दिल्ली : दिल्ली की फुटबॉल ने दिल्ली साॅकर एसोसिएशन का चोला उतार कर दिल्ली का पट्टा ग्रहण कर लिया है। वजह कोई भी हो लेकिन दिल्ली के पूर्व फुटबॉलर और क्लब अधिकारी इस बदलाव को उत्सुकता से देख रहे हैं। इसलिए चूंकि दिल्ली की फुटबॉल में वर्षों बाद बड़ा बदलाव आया है। नये-पुराने पदाधिकारियों की टीम दिल्ली की फुटबॉल को नई पहचान देने के लिए दृढ़ संकल्प है। आज यहां आयोजित कार्यक्रम में अध्यक्ष शाजी प्रभाकरण और वरिष्ठ पदाधिकारी एन के भाटिया ने बताया क़ि फुटबॉल दिल्ली एक टीम के रूप में काम करेगी और दिल्ली को नंबर एक यूनिट बनाएगी।
शाजी ने माना कि मैदान नहीं हैं लेकिन इस समस्या को शीघ्र दूर किया जायेगा। आम तौर पर कहा जाता है कि नाम से क्या जाता है। लेकिन दिल्ली की फुटबॉल के कुछ अधिकारी मानते हैं कि नाम बहुत मायने रखता है। उनके अनुसार पुराना नाम आज के कारपोरेट जगत को रास नहीं आ रहा। स्पॉन्सर कोई नाम चाहते हैं और फुटबॉल दिल्ली उन्हें जंच गया है। खैर यह तो वक्त ही बताएगा कि नाम बदलने से दिल्ली की फुटबॉल में क्या बदलाव आता है और नई टीम का यह बदलाव कहीं नया नाटक बन कर ना रह जाए।
हॉकी फेडरेशन (आईएचएफ) ने विवाद के चलते हॉकी इंडिया खड़ी की। इसमे दो राय नहीं कि नाम बदलने के बाद कुछ सराहनीय प्रयास किए गये। हॉकी इंडिया लीग का आयोजन, खिलाड़ियों को लाखों मिलना और प्रायोजकों का आकर्षण देखा गया लेकिन भारतीय हॉकी के स्तर में खास बदलाव नहीं आया है। जहां तक दिल्ली की फुटबॉल की बात है तो तमाम विवादों के चलते हर साल पांच से छह वर्गों में पुरुष-महिला लीग आयोजन होते रहे हैं।
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(राजेंद्र सजवान)