FIFA World Cup 2022 : आखिरकार लियोनेल मेस्सी का विश्व कप जीतने का अधूरा सपना हुआ पूरा - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

FIFA World Cup 2022 : आखिरकार लियोनेल मेस्सी का विश्व कप जीतने का अधूरा सपना हुआ पूरा

आखिरकार लियोनेल मेस्सी का विश्व कप जीतने का अधूरा सपना पूरा हुआ । एक ऐसा सपना जो उनके साथ पूरी दुनिया ने देखा और उसके पूरे होने की दुआ की ।

आखिरकार लियोनेल मेस्सी का विश्व कप जीतने का अधूरा सपना पूरा हुआ । एक ऐसा सपना जो उनके साथ पूरी दुनिया ने देखा और उसके पूरे होने की दुआ की । केरल से लेकर कश्मीर तक भारत भर में और दुनिया के हर कोने में इस फाइनल ने पूरी दुनिया को मेस्सी के रंग में रंग दिया ।
बरसों में बिरला ही कोई खिलाड़ी होता है जिसका इस कदर असर मैदान पर और मैदान के बाहर नजर आता है । मैदान पर असर ऐसा कि पहले कदम पर मिली हार के बाद पूरी टीम का मनोबल यूं बढाना कि फिर आखिरी मोर्चा फतेह करके ही दम ले ।
शायद पेले और डिएगो माराडोना के बाद वह पहले फुटबॉलर हैं जिनका जादू पूरी दुनिया के सिर चढ़कर बोला है । यह ट्रॉफी उनके लिये कितना मायने रखती है, यह इसी बात से साबित हो गया कि गोल्डन बॉल पुरस्कार लेने के लिये जब उनका नाम पुकारा गया तो पहले वह रूके और ट्रॉफी को चूमा ।
मैदान के बाहर उनका करिश्मा ऐसा कि उनका सपना हर फुटबॉलप्रेमी का सपना बन गया । पल पल पलटते मैच के हालात के साथ दर्शकों की धड़कने भी तेज होती रही । मेस्सी के हर गोल पर जश्न मना और खिताब जीतने पर अर्जेंटीना से मीलों दूर शहरों में भी आतिशबाजी की गई ।
मात्र 11 बरस की उम्र में ग्रोथ हार्मोन की कमी (जीएचडी) जैसी बीमारी से जूझने से लेकर दुनिया के महानतम फुटबॉलरों में शामिल होने तक मेस्सी का सफर जुनून, जुझारूपन और जिजीविषा की अनूठी कहानी है और रविवार को फाइनल में टीम को खिताब दिलाकर वह फुटबॉल के इतिहास की जीवित किंवदंती बन गए ।
अब इस बहस पर भी विराम लग जायेगा कि माराडोना और मेस्सी में से कौन महानतम है । देश के लिये खिताब नहीं जीत पाने के मेस्सी के हर घाव पर भी मरहम लग गया ।
सात बार बलोन डिओर, रिकॉर्ड छह बार यूरोपीय गोल्डन शूज, बार्सीलोना के साथ रिकॉर्ड 35 खिताब, ला लिगा में 474 गोल , एक क्लब (बार्सीलोना) के लिये सर्वाधिक 672 गोल कर चुके मेस्सी को विश्व कप नहीं जीत पाने की टीस हमेशा से रही । उन्हें पता था कि यह उनके पास आखिरी मौका है और 23वें मिनट में पेनल्टी पर गोल करने से पहले आंख मूंदकर शायद उन्होंने इसी प्रण को दोहराया ।
अर्जेंटीना ने जब आखिरी बार 1986 में विश्व कप जीता तब माराडोना देश के लिये खुदा बन गए हालांकि फाइनल में उन्होंने गोल नहीं किया था । उनके आसपास पहुंचने वाले सिर्फ मेस्सी थे लेकिन विश्व कप नहीं जीत पाने से उनकी महानता पर ऊंगलियां गाहे बगाहे उठती रहीं । ऊंगली तब भी उठी जब 2014 में फाइनल में जर्मनी ने अर्जेंटीना को एक गोल से हरा दिया था । सवाल तब भी उठे जब इस विश्व कप के पहले ही मैच में सउदी अरब ने मेस्सी की टीम पर अप्रत्याशित जीत दर्ज की ।
उस हार ने मानो अर्जेंटीना और मेस्सी के लिये किसी संजीवनी का काम किया । मैच दर मैच दोनों के प्रदर्शन में निखार आता गया और पिछली उपविजेता क्रोएशिया को एकतरफा सेमीफाइनल मुकाबले में हराकर वह फुटबॉल के सबसे बड़े समर के फाइनल में पहुंच गए ।
इस जीत के सूत्रधार भी मेस्सी ही रहे जिन्होंने 34वें मिनट में पेनल्टी पर पहला गोल दागा और फिर जूलियर अलकारेज के दोनों गोल में सूत्रधार की भूमिका निभाई । आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहे अपने देशवासियों के लिये मसीहा बन गए मेस्सी और पूरे अर्जेंटीना को जीत के जश्न में सराबोर कर दिया ।
मेस्सी का विश्व कप का सफर 2006 में शुरू हुआ और अब तक वह सबसे ज्यादा 25 मैच खेल चुके हैं । विश्व कप के इतिहास में अर्जेंटीना के लिये सर्वाधिक 11 गोल कर चुके हैं । उम्र को धता बताकर इस विश्व कप में चार गोल, दो में सूत्रधार की भूमिका निभाने के बाद तीन ‘मोस्ट वैल्यूएबल प्लेयर’ के पुरस्कार जीत चुके हैं ।
रोसारियो में 1987 में एक फुटबॉल प्रेमी परिवार में जन्मे मेस्सी ने पहली बार घर के आंगन में अपने भाइयों के साथ जब फुटबॉल खेला तो किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन दुनिया के महानतम खिलाड़ियों में उनका नाम शुमार होगा ।
बार्सीलोना के लिये लगभग सारे खिताब जीत चुके पेरिस सेंट जर्मेन के इस स्टार स्ट्राइकर ने 2004 में बार्सीलोना के साथ अपने क्लब कैरियर की शुरूआत 17 वर्ष की उम्र में की । उन्होंने 22 वर्ष की उम्र में पहला बलोन डिओर जीता । अगस्त 2021 में बार्सीलोना से विदा लेने से पहले वह क्लब फुटबॉल के लगभग तमाम रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके थे ।
मेस्सी ने विश्व कप में पदार्पण 2006 में जर्मनी में सर्बिया और मोंटेनीग्रो के खिलाफ ग्रुप मैच में किया जिसे देखने के लिये माराडोना भी मैदान में मौजूद थे । 18 वर्ष के मेस्सी 75वें मिनट में सब्स्टीट्यूट के तौर पर मैदान पर उतरे थे ।
बीजिंग ओलंपिक 2008 में अर्जेंटीना ने फुटबॉल का स्वर्ण पदक जीता तो 2010 विश्व कप में मेस्सी से अपेक्षायें बढ़ गईं । अर्जेंटीना को क्वार्टर फाइनल में जर्मनी ने हराया और पांच मैचों में मेस्सी एक भी गोल नहीं कर सके । चार साल बाद ब्राजील में अकेले दम पर टीम को फाइनल में ले जाने वाले मेस्सी अपने आंसू नहीं रोक सके जब उनकी टीम एक गोल से हार गई ।
इसके बाद 2018 में रूस में पहले नॉकआउट मैच में अर्जेंटीना को फ्रांस ने 4 . 3 से हरा दिया और तीन में से दो गोल मेस्सी के नाम थे ।
पिछले चार साल में इस महान खिलाड़ी ने एक ही सपना देखा …विश्व कप जीतने का । क्वार्टर फाइनल में मिली जीत के बाद खुद मेस्सी ने कहा था ,‘‘डिएगो आसमान से हमें देख रहे हैं और विश्व कप जीतने के लिये प्रेरित कर रहे हैं । उम्मीद है कि आखिरी मैच तक वह ऐसा ही करते रहेंगे ।’’
निस्संदेह माराडोना का आशीर्वाद इस मैच में मेस्सी के साथ था ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twenty − eighteen =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।