Tokyo Olympic : जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतने के बाद अब नीरज का ये होगा लक्ष्य - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

Tokyo Olympic : जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतने के बाद अब नीरज का ये होगा लक्ष्य

भाला फेंक के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा के तोक्यो ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद आगामी प्रतियोगिताओं में 90 मीटर भाला फेंकने को अपना अगला लक्ष्य बनाया है।

भाला फेंक के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा के तोक्यो ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद आगामी प्रतियोगिताओं में 90 मीटर भाला फेंकने को अपना अगला लक्ष्य बनाया है। ओलंपिक में भारत के दूसरे व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता नीरज तो शनिवार को ही खेलों के रिकार्ड (90.57 मीटर) को तोड़ने का प्रयास कर रहे थे लेकिन वह वहां तक नहीं पहुंच पाये।
चोपड़ा ने अपने ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद कहा, ‘‘भाला फेंक एक तकनीकी स्पर्धा है और काफी कुछ दिन की फार्म पर निर्भर करता है। इसलिए मेरा अगला लक्ष्य 90 मीटर की दूरी तय करना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस साल केवल ओलंपिक पर ध्यान दे रहा था। अब मैंने स्वर्ण पदक जीत लिया है तो मैं भावी प्रतियोगिताओं के लिये योजनाएं बनाऊंगा। भारत लौटने के बाद मैं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिये विदेशों के वीजा हासिल करने की कोशिश करूंगा।’’
1628407151 neeraj 56
चोपड़ा ने 13 जुलाई को गेटशीड डायमंड लीग से हटने के बाद कहा था कि वह ओलंपिक के बाद इस शीर्ष स्तर की एक दिन की सीरीज के बाकी चरणों में हिस्सा ले सकते हैं। लुसाने (26 अगस्त) और पेरिस (28 अगस्त) के चरणों के अलावा ज्यूरिख में नौ सितंबर को होने वाले फाइनल में भी भाला फेंक की स्पर्धा शामिल है। हरियाणा के पानीपत के खांद्रा गांव के रहने वाले 23 वर्षीय नीरज ने कहा कि वह किसी तरह के दबाव में नहीं थे और वैसा ही काम कर रहे थे जैसा कि अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के दौरान करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘किसी तरह का दबाव नहीं था और मैं इसमें (ओलंपिक) किसी अन्य प्रतियोगिता की तरह ही भाग ले रहा था। यह ऐसा ही था कि मैं पहले भी इन एथलीटों के खिलाफ भाग ले चुका हूं और चिंता की कोई बात नहीं है। इससे मैं अपने प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित कर पाया। इससे मुझे स्वर्ण पदक जीतने में मदद मिली।’’ चोपड़ा ने कहा, ‘‘हां, मैं यह सोच रहा था कि भारत ने अब तक एक एथलेटिक्स में पदक नहीं जीता है लेकिन एक बार जब मेरे हाथ में भाला आया तो ये चीजें मेरे दिमाग में नहीं आयी। ’’ चोपड़ा ने ओलंपिक से पहले तीन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था लेकिन केवल एक में चोटी के एथलीट शामिल थे।
1628407186 neeraj 7
उन्होंने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मुझे ओलंपिक से पहले अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका मिला। मैं इसके लिये बेताब था। मैंने लक्ष्य ओलंपिक पोडियम कार्यक्रम (टॉप्स), भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) और भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) से कुछ प्रतियोगिताओं की व्यवस्था करने के लिये कहा। उन्होंने ऐसा किया जिसकी बदौलत मैं आज यहां हूं।’’
चोपड़ा ने कहा, ‘‘मुझे जो भी सुविधाएं मिली उनके लिये मैं साइ, एएफआई और टॉप्स का आभारी हूं। ’’ चोपड़ा से पूछा गया कि वह अपने पहले दो प्रयास में लंबी दूरी तक भाला फेंकने में कैसे सफल रहे, उन्होंने कहा, ‘‘यदि पहला थ्रो अच्छा जाता है तो इससे दबाव समाप्त हो जाता है। ऐसा हुआ। दूसरा थ्रो भी बहुत अच्छा था। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘दोनों अवसरों पर भाला छोड़ते ही मुझे लग गया था कि यह बहुत दूरी तक जाएगा। इससे दूसरे एथलीटों पर दबाव बन जाता है। ’’
अपने मित्र और पदक के दावेदार जर्मनी के योहानेस वेटर के बारे में चोपड़ा ने कहा, ‘‘वह संघर्ष कर रहा था। मैं नहीं जानता कि यह दबाव के कारण था या इसकी वजह बहुत अधिक प्रतियोगिताओं में भाग लेना था। वह अपनी लय में नहीं था।’’
वेटर पहले तीन प्रयासों के बाद बाहर हो गये थे और कुल नौवें स्थान पर रहे। चोपड़ा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने बचपन के कोच जयवीर चौधरी को भी दिया। वह जयवीर ही थे जिन्होंने उन्हें पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में भाला फेंक से जुड़ने के लिये कहा था। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने जयवीर के साथ शुरुआत की। जब मैं भाला फेंक के बारे में कुछ भी नहीं जानता था तब उन्होंने मेरी बहुत मदद की। वह अब राष्ट्रीय शिविर में प्रशिक्षण दे रहे हैं। वह बेहद समर्पित हैं। जयवीर के साथ अभ्यास करने से मेरे मूल तकनीक में काफी सुधार हुआ। ’’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

14 + four =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।