टोक्यो में जारी ओलंपिक में बुधवार का दिन भारतीय दल के काफी महत्वपूर्ण था, जहां पर कुछ पदक मिलने की संभावना थी। भारतीय महिला हॉकी टीम को सेमीफाइनल मैच में हार का सामना करना पड़ा है। इसके साथ ही भारतीय टीम का ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने का सपना भी चकनाचूर हो गया है। भारत की टीम मैच के पहले हाफ में जबरदस्त फॉर्म में नजर आई और मुकाबले के दूसरे ही मिनट में गुरजीत कौर ने टीम की ओर से गोल दागा।
हालांकि, टीम इंडिया अपनी इस बढ़त को ज्यादा देर कायम नहीं रख सकी और अर्जेंटीना ने 18वें मिनट में गोल करके स्कोर बराबर कर दिया। इसके बाद वर्ल्ड नंबर दो टीम ने मैच के 36वें मिनट में दूसरा गोल दागकर मैच में 2-1 की बढ़त हासिल कर ली और टीम इस लीड को आखिर तक बनाए रखने में सफल रही।
भारतीय टीम हार के बावजूद ब्रॉन्ज मेडल जीतने के लिए मैच खेलेगी। भारत की टीम पहले दो क्वार्टर में अर्जेंटीना पर हावी नजर आई और टीम ने लगातार अटैकिंग गेम खेला, लेकिन दूसरे हाफ में अर्जेंटीना भारतीय डिफेंस की बार-बार परीक्षा लेती दिखी और मैच के 36वें मिनट में आखिरकार टीम ने 2-1 की बढ़त हासिल की।
वहीं, भारतीय टीम को कई दफा पेनल्टी कॉर्नर मिला, लेकिन भारतीय खिलाड़ी उसका फायदा उठाने में नाकाम रहीं। भारतीय पुरुष हॉकी टीम को भी अपने सेमीफाइनल मुकाबले में बेल्जियम के हाथों हार झेलनी पड़ी थी। कोच सोर्ड मारजेन की अगुवाई वाली भारतीय महिला टीम का पहली बार गोल्ड मेडल जीतने का सपना जरूर इस हार के साथ अधूरा रह गया है।
भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए टोक्यो ओलंपिक की शुरुआत अच्छी नहीं रही थी और टीम ने अपने शुरुआती तीन मैचों में हार का सामना किया था, लेकिन इसके बाद रानी रामपाल की कप्तानी में टीम ने जोरदार वापसी करते हुए लगातार तीन जीत दर्ज करते हुए सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की की थी। भारतीय टीम का इससे पहले बेस्ट प्रदर्शन मॉस्को ओलंपिक 1980 में रहा था जब वह छह टीमों में चौथे स्थान पर रही थी। महिला हॉकी टीम ने उस साल ओलंपिक में डेब्यू किया था और मैच राउंड रोबिन आधार पर खेले गए थे।