साल 2016 में सरकार ने नोटबंदी का ऐलान किया था। जिसमें सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद कर दिया था। जिसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट में साल 2016 में हुई नोटबंदी की संवैधानिक वैधता पर बुधवार को सुनवाई हुई। याचिका पर कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई से हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी।
नोटबंदी मामले की समीक्षा करेगा SC
बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वह सरकार के नीतिगत फैसलों की न्यायिक समीक्षा पर ‘लक्ष्मण रेखा’ से अवगत है। लेकिन इसके साथ यह तय करने के लिए 2016 के नोटबंदी के फैसले की जांच करनी होगी। पांच जजों के एस ए नज़ीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि जब भी कोई मुद्दा संविधान की पीठ के सामने रखा जाता है, कि तो जवाब देना उसका कर्तव्य है। जब तक नोटबंदी पर एक्ट को उचित तरीके से चुनौती नहीं दी जाती है, तब तक यह मुद्दा अनिवार्य रूप से अकादमिक रहेगा।विमुद्रीकरण अधिनियम 1978 में कुछ उच्च मूल्य के नोटों के विमुद्रीकरण के लिए जनहित में प्रदान करने के लिए पारित किया गया था ताकि अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक पैसों के अवैध ट्रांसफर की जांच की जा सके।
कोर्ट की बेंच ने कहा, “हम हमेशा जानते हैं कि लक्ष्मण रेखा कहां है, जिस तरह से इसे किया था। उसकी जांच की जानी चाहिए। जिसके लिए हमें यह तय करने के लिए वकील को सुनना होगा। दूसरी तरफ केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शैक्षणिक मुद्दों पर अदालत का समयब र्बाद नहीं करना चाहिए।