राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद-अभाविप ने भारत सरकार से राष्ट्रीय युवा नीति में बदलाव की मांग की है। इस संबंध में अभाविप ने केन्द्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय को संगठन की तरफ से विस्तृत सुझाव भेजे हैं। अभाविप का यह दावा है कि संगठन ने देश के विभिन्न शैक्षणिक परिसरों के युवाओं से विचार-विमर्श के बाद इन सुझावों को तैयार किया है और सरकार को इन सुझावों के मुताबिक राष्ट्रीय युवा नीति में बदलाव करना चाहिए।
अभाविप की राष्ट्रीय महासचिव निधि त्रिपाठी ने कहा, “हमने युवा मामले तथा खेल मंत्रालय को राष्ट्रीय युवा नीति पर आमंत्रित सुझावों के संबंध में अपना विस्तृत सुझावों का ज्ञापन सौंपा जिसमें हमने युवा तथा छात्रों के हितों से संबंधित सुझाव सम्मिलित किये हैं जिससे यह नीति सर्वस्पर्शी तथा सर्वव्यापी बन सके। हमें आशा है कि हमारे सुझावों पर गंभीरता से विचार कर उसे राष्ट्रीय युवा नीति के अंतिम रूप में शामिल किया जाएगा।”
भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय युवा नीति के मसौदे पर अभाविप ने मुख्य सुझावों में ‘कल के नेता’ की जगह ‘आज के नागरिक’ करने , मसौदे में लिखे ‘युवाओं की भागीदारी’ को बदलकर ‘युवाओं की सहभागिता’ करने तथा राष्ट्रीय युवा नीति में युवाओं के ‘सुखद और सार्थक छात्र जीवन’ बनाने जैसे सुझावों को सम्मिलित किया है।
आपको बता दें कि, भारत सरकार के खेल एवं युवा मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय युवा नीति का एक नया मसौदा तैयार किया गया है जिसे सार्वजनिक कर इस पर हर क्षेत्र से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। इस राष्ट्रीय युवा नीति के मसौदे में युवा विकास के लिए दस वर्षीय विजन की परिकल्पना की गई है जिसे भारत वर्ष 2030 तक प्राप्त करना चाहता है। यह सतत विकास लक्ष्यों के साथ जुड़ा हुआ है और इसमें ‘भारत को आगे बढ़ने के लिए युवाओं की क्षमता अनलॉक’ करने की बात कही गई है। इस राष्ट्रीय युवा नीति के उद्देश्यों में पांच प्राथमिकता क्षेत्रों – शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता, युवा नेतृत्व और विकास, स्वास्थ्य, फिटनेस और खेल तथा सामाजिक न्याय में युवाओं के विकास के लिए व्यापक कार्रवाई करना है।