मध्यप्रदेश की सियासत में एक सप्ताह से अधिक समय से जारी उठापटक के चलते चौदह माह पुरानी कमलनाथ सरकार पर आया संकट आज उस समय और अधिक गहराता हुआ नजर आया, जब एक दिन पहले ही कांग्रेस का दामन छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की भोपाल की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान भाजपा ने शक्ति प्रदर्शन किया।
श्री सिंधिया अपने संबोधन में मुख्यमंत्री कमलनाथ का नाम लिए बगैर यह कहने से नहीं चूके कि उन्हें सड़क पर उतरने के लिए कहा गया और अब देख लो। उन्होंने कहा कि सिंधिया परिवार सदैव ईमानदारी से जनसेवा के लिए आगे बढ़े है, लेकिन जब भी उसे ललकारा गया, तो परिणाम भी सभी ने देखे हैं। श्री सिंधिया ने कहा कि 1967 में उनकी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया को और 1990 में उनके पिता माधवराव सिंधिया को भी ललकारा गया था और उस समय के नतीजे भी सभी ने देखे हैं। और अब उन्हें ललकारा गया।
दो दशक तक कांग्रेस में विभिन्न पदों पर रहकर राष्ट्रीय राजनीति के फलक पर छाए रहे श्री सिंधिया देर शाम प्रदेश भाजपा मुख्यालय पहुंचे, जहां पर उनका केंद्रीय मंत्री नरेंद सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, यशोधराराजे सिंधिया, भूपेन्द्र सिंह और अनेक पूर्व मंत्रियों, प्रदेश पदाधिकारियों ने उनका स्वागत किया। दिल्ली से विशेष विमान से श्री तोमर के साथ विमानतल पहुंचने पर श्री सिंधिया का भव्य स्वागत किया गया। इसके बाद वे रोड शो करते हुए लगभग 15 किलोमीटर का फासला तय कर प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे।
उत्साह से भरे नजर आ रहे श्री सिंधिया ने जहां आज मन की बात निकालने का प्रयास किया, तो इसी मंच से पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार को जमकर कोसा। श्री चौहान ने मौजूदा कमलनाथ सरकार को लंका की संज्ञा देते हुए कहा कि इसके दहन के लिए विभीषण की जरुरत पड़ती है और आज हमारे साथ श्री सिंधिया हैं। इसके बाद श्री चौहान ने कहा कि ये धर्मयुद्ध है और हम सब एकजुट होकर लड़गे और अन्याय तथा अत्याचार को समाप्त कर देंगे।
श्री चौहान ने मौजूदा सरकार पर जमकर आरोप लगाए और कहा कि विधानसभा चुनाव के समय श्री सिंधिया को आगे रखा गया और मुख्यमंत्री की बात आयी, तो सामने कोई और आ गया। और तो और उनका साथ‘मिस्टर बंटाढार’ने दिया और इन्होंने मिलकर इस प्रदेश को बर्बाद कर दिया। वल्लभ भवन को दलालों का अड्डा बना दिया गया। शराब नीति शराब निर्माताओं ने बनायी। रेत लूटी गयी। पत्थर लूटा गया। जनता तक को नहीं छोड़ और भ्रष्टाचार में राज्य को नंबर एक बना दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा सरकार ने विकास के सारे काम ठप कर दिए। भाजपा कार्यकर्ताओं को भी परेशान किया गया। चारों तरफ आतंक का माहौल बना दिया। महाराज (श्री सिंधिया) को भी एक दिन में माफिया बनाने का प्रयास किया गया। श्री चौहान ने जमकर आक्रोश जताते हुए कहा कि वे भाजपा कार्यकर्ताओं के एक एक आंसू का हिसाब लेंगे। इसके बाद श्री सिंधिया ने अपने संबोधन में मुख्यमंत्री या किसी कांग्रेस नेता का नाम तो नहीं लिया, लेकिन श्री चौहान की बातों का एक तरह से समर्थन करते हुए कहा‘आपने तो बाहर से महसूस किया, लेकिन हमने तो अंदर से देखा है और ऐसा देखकर आलोचना करना कठिन होता है।‘
राज्य में सत्ता बरकरार रखने की कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की कोशिशें और मुख्य विपक्षी दल भाजपा की सत्ता हासिल करने की परोक्ष कोशिशों का क्रम आज फिर दिखायी दिया। सुबह सुबह श्री चौहान ने मीडिया से कहा कि कमलनाथ सरकार बहुमत खो चुकी है, इसलिए अब उसे सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है। वहीं पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी इसी तरह की बात करते हुए कहा कि एकाध सप्ताह में सभी चीजें साफ हो जाएंगी।
दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से दो मंत्री जीतू पटवारी और लाखन सिंह बंगलूर में ठहराए गए लगभग 20 कांग्रेस विधायकों से मिलने पहुंचे और इस दौरान वहां विधायकों की निगरानी में लगे पुलिस और अन्य लोगों की दोनों मंत्रियों से बहस हुयी। इन घटनाओं के संबंध में आधा दर्जन से अधिक वीडियो जारी करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने यहां पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया कि बंगलूर पुलिस ने दोनों मंत्रियों को गिरफ्तार कर लिया। जबकि वे वहां पर एक विधायक मनोज चौधरी के पिता के साथ मिलने गए थे। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने विधायक के पिता के साथ भी दुर्व्यहार किया।
कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की मौजूदगी में कहा कि यह दो राज्यों का मामला है और वे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए इस मामले को उच्चतम न्यायालय में भी ले जाने का विचार करेंगे। हालाकि शाम तक श्री पटवारी का एक और वीडियो आया, जिसमें वे लाखन सिंह के साथ वहीं पर मीडिया से बात करते हुए नजर आए।
इस बीच भाजपा के एक सौ से अधिक विधायक दिल्ली के पास हरियाणा राज्य के एक बड़ होटल में रुके हुए हैं। वहीं कांग्रेस के लगभग 90 विधायक राजस्थान की राजधानी जयपुर के पास दो होटल में रुके हुए हैं। दोनों ही दल के वरिष्ठ नेता अपने अपने विधायकों पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं, जिससे उन्हें कथित खरीद फरोख्त से बचाया जा सके।
अब सत्ता पक्ष कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा की नजर बंगलूर के पास रखे गए लगभग 20 कांग्रेस विधायकों की भूमिका पर लगी हुयी है, जो 16 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र के दौरान या किसी अन्य अवसर पर बहुमत साबित करने में मददगार साबित हो सकते हैं। अभी तक कांग्रेस के 22 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष और राज्यपाल को ईमेल इस्तीफे भेजे हैं। बाद में इनकी हॉर्ड कॉपी भाजपा नेताओं ने अध्यक्ष तक पहुंचायी और इन इस्तीफों को स्वीकार करने का अनुरोध किया है।
वहीं विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने कहा कि वे नियमों से बंधे हुए हैं और इस्तीफों पर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आज मीडिया से कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार इस्तीफा भेजने वाले विधायकों को अध्यक्ष ने नोटिस जारी किए हैं, जिसके अनुसार संबंधित विधायकों को अध्यक्ष के समक्ष उपस्थित रहना होगा। श्री सिंह ने मांग की कि इन विधायकों को अध्यक्ष से आकर मिलना चाहिए, तभी इस्तीफों के बारे में कोई निर्णय हो सकेगा।
श्री सिंह ने आज फिर दोहराया कि राज्य सरकार सदन में बहुमत सिद्ध करने के लिए तैयार है और वह वक्त आने पर ऐसा करेगी भी। दूसरी ओर भाजपा इस मामले को लेकर फूंक फूंक कर कदम बढ़ते हुए नजर आ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज फिर कहा कि राज्य में इन दिनों जो भी चल रहा है, उससे भाजपा का कोई लेनादेना नहीं है। सरकार की यह हालत उसके अंतर्विरोधों के कारण हुयी है।
राज्य में 16 मार्च से विधानसभा का बजट सत्र प्रारंभ हो रहा है। पहले दिन राज्यपाल का अभिभाषण होगा। सत्र 13 अप्रैल तक प्रस्तावित है और इस दौरान राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव भी होना है।
दिन भर चले घटनाक्रमों के बीच शाम को सभी की नजर प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर रहीं, जहां हजारों कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में श्री सिंधिया पहली बार वहां पहुंचे। श्री सिंधिया ने सभी वरिष्ठ नेताओं का जिक्र अपने संबोधन में किया और कहा कि वे अपने आप को सौभाज्ञशाली समझते हैं कि आज वे जिस परिवार में आए हैं, उसे वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अध्यक्ष जे पी नड्डा और पूर्व अध्यक्ष अमित शाह जैसे नेताओं का मार्गदर्शन मिल रहा है।
श्री सिंधिया ने कहा कि वे उस दल को छोड़कर आए हैं, जिसे 20 वर्षों तक उन्होंने अपने खून पसीने से सींचा। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, दिवंगत राजमाता और अपने पिता माधवराव सिंधिया का भी स्मरण किया। श्री सिंधिया ने कहा कि वे अपने आप को तभी धन्य मानेंगे, जब वे सभी भाजपा कार्यकर्ताओं के हृदय में बस जाएंगे। उन्होंने श्री चौहान की कार्यप्रणाली की भी तारीफ की और कहा कि वे दोनों मिलकर कार्य करेंगे और एक पर एक दो नहीं ज्ञारह बनेंगे।