केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को एबीजी शिपयार्ड और उसके निदेशकों के खिलाफ बैंकों के एक संघ को 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में मामला दर्ज किया। उनके खिलाफ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने शिकायत दर्ज कराई थी। एसबीआई की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड के निदेशक ऋषि अग्रवाल और संथानम मुथुस्वामी को आरोपी के रूप में नामजद करते हुए प्राथमिकी दर्ज की।
2,925 करोड़ रुपये का कर्ज लिया, लेकिन चुकाया नहीं
कंपनी ने अपने निदेशकों के माध्यम से एसबीआई से 2,925 करोड़ रुपये का कर्ज लिया, लेकिन चुकाया नहीं। उन्होंने कई और बैंकों से भी कर्ज लिया और कभी भुगतान नहीं किया। उन्होंने शुरू में एसबीआई से कर्ज लिया और उनका विश्वास जीत लिया। बाद में वे बैंकों के एक संघ से ऋण लेने में सक्षम हुए।
सीबीआई सूत्र ने कहा, उन्होंने इंडियन ओवरसीज बैंक से 1,228 रुपये, पंजाब नेशनल बैंक से 1,244 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा से 1,614 करोड़ रुपये, आईसीआईसीआई बैंक से 7,089 करोड़ रुपये और आईडीबीआई बैंक से 3,634 करोड़ रुपये का कर्ज लिया, मगर चुकाया नहीं। कई बैंक ने आंतरिक जांच शुरू की, जिसमें पाया गया कि कंपनी अलग-अलग संस्थाओं को धन भेजकर बैंकों के संघ को धोखा दे रही थी।
एबीजी ग्रुप के निदेशकों की गिरफ्तारी की भी संभावना है
सीबीआई ने अब एक प्राथमिकी दर्ज की है और मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच के लिए अपने अधिकारियों की एक टीम बनाई है। सीबीआई आने वाले दिनों में एबीजी शिपयार्ड के निदेशकों को जांच में शामिल होने के लिए बुला सकती है और उनके बयान दर्ज करेगी। एबीजी ग्रुप के निदेशकों की गिरफ्तारी की भी संभावना है। एबीजी शिपयार्ड एबीजी समूह की कंपनी से जुड़ा है, जो जहाज की मरम्मत और निर्माण के कारोबार में है। इसके शिपयार्ड गुजरात में हैं। अधिकारी ने कहा कि मामले में आगे की जांच जारी है।