भारत ने भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव कम करने का मार्ग प्रशस्त करने तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता की पूर्ण बहाली सुनिश्चित करने के लिए पूर्वी लद्दाख में टकराव के शेष बिन्दुओं से सैनिकों की पूर्ण वापसी की प्रक्रिया को पूरा करने का बृहस्पतिवार को एक बार फिर आह्वान किया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक संवाददाता सम्मेलन में सैन्य और राजनयिक वार्ता के पिछले चरणों का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों पक्ष मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुरूप लंबित मुद्दों का त्वरित समाधान करने की आवश्यकता पर सहमत हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने बार-बार जोर देकर कहा है कि अन्य क्षेत्रों से सैनिकों की पूर्ण वापसी दोनों पक्षों के बलों के बीच तनाव कम करने का मार्ग प्रशस्त करेगी तथा शांति एवं स्थिरता की पूर्ण बहाली सुनिश्चित करेगी और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति को संभव बनाएगी।’’
बागची सीमा गतिरोध पर दोनों पक्षों के बीच बातचीत के स्तर से जुड़े एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
दोनों पक्षों के बीच कमांडर स्तर की 11वें दौर की वार्ता गत नौ अप्रैल को हुई थी, जबकि कार्यकारी सलाह एवं समन्वय तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के ढांचे के तहत राजनयिक स्तर की पिछले दौर की वार्ता गत 12 मार्च को हुई थी।
बागची ने कहा, ‘‘इन बैठकों के दौरान दोनों पक्ष मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुरूप लंबित मुद्दों का त्वरित समाधान करने की आवश्यकता पर सहमत हुए।’’
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में कई जगहों पर पिछले साल मई के शुरू से सैन्य गतिरोध बरकरार है।
दोनों देशों ने कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद हालांकि गत फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी छोर के क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों तथा अस्त्र-शस्त्रों को पूरी तरह हटा लिया था। दोनों पक्ष अब टकराव वाले शेष इलाकों से सैन्य वापसी को लेकर चर्चा कर रहे हैं।
शेष इलाकों से सैन्य वापसी को लेकर अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं दिखी है क्योंकि चीनी पक्ष के रुख में 11वें दौर की सैन्य वार्ता में कोई बदलाव नहीं दिखा।
पिछले महीने थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी बिन्दुओं से पूर्ण सैन्य वापसी तक तनाव में कोई कमी नहीं आ सकती और भारतीय सेना क्षेत्र में प्रत्येक आपात स्थिति के लिए तैयार है।
जनरल नरवणे ने यह भी कहा था कि चीन से भारत ‘‘सख्ती’’ से निपट रहा है, ताकि पूर्वी लद्दाख में अपने दावों की गरिमा सुनिश्चित की जा सके।