मोदी सरकार ने आम लोगों को महंगाई से कुछ राहत देने के लिये बुधवार को महत्वपूर्ण कदम उठाया। ईँधन के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद केंद्र ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में क्रमश: पांच रुपये तथा 10 रुपये की कटौती की।
दिवाली की पूर्व संध्या पर की गयी इस घोषणा से ईंधन की आसमान छूती कीमतों को नीचे लाने में मदद मिलेगी और महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी को भी कुछ राहत मिलेगी।
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उत्पाद शुल्क में कमी चार नवंबर से प्रभाव में आएगी और इसके साथ पेट्रोल की कीमत दिल्ली में मौजूदा 110.04 रुपये प्रति लीटर से घटकर 105.04 रुपये प्रति लीटर जबकि डीजल की कीमत 98.42 रुपये प्रति लीटर से घटकर 88.42 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘भारत सरकार ने कल से पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में क्रमश: पांच रुपये और 10 रुपये की कमी करने का एक महत्वपूर्ण फैसला किया है। इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आएगी।’
यह उत्पाद शुल्क में की गयी अब तक की सबसे अधिक कमी है और इससे साथ मार्च 2020 से मई 2020 के बीच पेट्रोल एवं डीजल पर करों में 13 रुपये और 16 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि का एक हिस्सा वापस ले लिया गया है।
उत्पाद शुल्क में उस समय की वृद्धि से पेट्रोल पर केंद्रीय कर 32.9 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.8 रुपये प्रति लीटर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।
बयान में कहा गया है कि उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए राज्यों से पेट्रोल और डीजल पर वैट कम करने का भी आग्रह किया जा रहा है।
शहरों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर
अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के बाद देश भर में खुदरा दरों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद उत्पाद शुल्क में कमी की जा रही है। जहां सभी प्रमुख शहरों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर है, वहीं डीजल ने कई राज्यों में यह स्तर पार कर लिया है।
लगातार हुई वृद्धि की विपक्षी दलों ने की थी कड़ी आलोचना
ईंधन की कीमतों में लगातार हुई वृद्धि की विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की थी। खासकर कांग्रेस ने आलोचना करते हुए सरकार से उत्पाद शुल्क वापस लेने की मांग की थी।
अप्रैल से अक्टूबर के खपत के आंकड़ों के आधार पर उत्पाद शुल्क में कटौती से सरकार को प्रति माह 8,700 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। उद्योग सूत्रों के अनुसार इससे सालाना आधार पर एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का असर पड़ेगा। वहीं चालू वित्त वर्ष की बाकी अवधि के लिए, प्रभाव 43,500 करोड़ रुपये का होगा।
मोटर चालकों को मिलेगी राहत
उत्पाद शुल्क में कमी से मोटर चालकों को राहत मिलेगी। ट्रकों और कृषि क्षेत्र के लिए यह सबसे बड़ी राहत होगी जो डीजल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।
बयान के मुताबिक किसानों ने अपनी कड़ी मेहनत से, ‘लॉकडाउन’ के दौरान भी आर्थिक वृद्धि की गति को बनाए रखा और डीजल पर उत्पाद शुल्क में भारी कमी से उन्हें आगामी रबी सीजन के दौरान प्रोत्साहन मिलेगा।
हाल के महीनों में, कच्चे तेल की कीमतों में वैश्विक स्तर पर उछाल देखा गया है। इस वजह से हाल के हफ्तों में पेट्रोल और डीजल की घरेलू कीमतों में वृद्धि हुई है, जिससे मुद्रास्फीति संबंधी दबाव बढ़ गया है।