सरकार ने बृहस्पतिवार को संसद में कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए चार देशों के साथ छह करार पर हस्ताक्षर किए हैं और इससे 13.2 करोड़ यूरो की विदेशी मुद्रा प्राप्त होगी। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसरो ने अपनी वाणिज्यिक इकाई न्यूस्पेस इण्डिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के माध्यम से वाणिज्यिक आधार पर ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) में अन्य देशों के उपग्रह प्रक्षेपित करता रहा है।
उन्होंने बताया कि एनएसआईएल ने वर्ष 2021-2023 के दौरान पीएसएलवी द्वारा अंतरिक्ष में विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण की खातिर चार देशों के ग्राहकों के साथ छह प्रक्षेपण सेवा करार पर हस्ताक्षर किए हैं। वाणिज्यिक आधार पर इन विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से लगभग 13.2 करोड़ यूरो का राजस्व प्राप्ति होगा।
सिंह ने बताया कि छात्र निर्मित 12 उपग्रहों सहित कुल 124 स्वदेशी उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया है। इसके अलावा 34 देशों के 342 विदेशी उपग्रह भी स्वदेशी प्रक्षेपण यान के जरिए पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किए गए हैं। उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से भारत ने तीन साल (2019-2021) के दौरान करीब 3.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर तथा एक करोड़ यूरो का राजस्व अर्जित किया है।