देश में उपजे हिजाब विवाद में सुप्रीमकोर्ट के सुनवाई करने वाले दोनों जजों की इस मुद्दे पर अलग -अलग राय हैं। विवाद पर दोनों ने ही अपना फैसला अलग -अलग सुनाया हैं। सबसे बड़ी बात यह हैं कि इस फैसले में एक जज ने हिजाब को बैन करने के आदेश को ही रद्द कर दिया, बल्कि जस्टिस हेंमत गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखने के लिए सहमति जताई ।
जस्टिस हेंमत गुप्ता ने अपने फैसले में उठाए 11 सवाल उठाकर हाईकोर्ट के फैसले को ठहराया सही
हिजाब विवाद पर अपना फैसला सुनाते हुए हेमंत गुप्ता ने कहा की इस मामले में उन्होनें फैसले में कहा कि इस मुद्दे पर उनकी राय काफी अलग हैं। अधिकार के तहत मिलने वाले अधिकारों का हवाला देते हुए कहा कि अनुच्छेद 19, 21, 25 के तहत वस्त्र चुनने का अधिकार दिया जा सकता है?क्या इस मामले को संविधान बेंच को भेजा जाए? क्या कॉलेज मैनेजमेंट छात्रों के यूनिफॉर्म पर या हिजाब पहनने को लेकर कोई फैसला कर सकता है? क्या सरकार के आदेश से मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है? क्या छात्र अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग नहीं कर सकता है क्योंकि इस्लाम के तहत आवश्यक धार्मिक अभ्यास का सही हिस्सा पहन रहा है? क्या सरकारी आदेश शिक्षा तक पहुंच के उद्देश्य को पूरा करता है? मेरे अनुसार सभी सवालों के जवाब अपीलकर्ता के खिलाफ हैं। मैं अपील खारिज करता हूं। अलग-अलग राय को देखते हुए मामले को उचित दिशा-निर्देशों के लिए सीजेआई के समक्ष रखा जाए।
जस्टिस हेंमत गुप्ता ने अपने फैसले में उठाए 11 सवाल उठाकर हाईकोर्ट के फैसले को ठहराया सही
हिजाब विवाद पर अपना फैसला सुनाते हुए हेमंत गुप्ता ने कहा की इस मामले में उन्होनें फैसले में कहा कि इस मुद्दे पर उनकी राय काफी अलग हैं। अधिकार के तहत मिलने वाले अधिकारों का हवाला देते हुए कहा कि अनुच्छेद 19, 21, 25 के तहत वस्त्र चुनने का अधिकार दिया जा सकता है?क्या इस मामले को संविधान बेंच को भेजा जाए? क्या कॉलेज मैनेजमेंट छात्रों के यूनिफॉर्म पर या हिजाब पहनने को लेकर कोई फैसला कर सकता है? क्या सरकार के आदेश से मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है? क्या छात्र अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग नहीं कर सकता है क्योंकि इस्लाम के तहत आवश्यक धार्मिक अभ्यास का सही हिस्सा पहन रहा है? क्या सरकारी आदेश शिक्षा तक पहुंच के उद्देश्य को पूरा करता है? मेरे अनुसार सभी सवालों के जवाब अपीलकर्ता के खिलाफ हैं। मैं अपील खारिज करता हूं। अलग-अलग राय को देखते हुए मामले को उचित दिशा-निर्देशों के लिए सीजेआई के समक्ष रखा जाए।