दुनियाभर में कोरोना वायरस (कोविड-19) का प्रकोप फैल चुका है। ऐसे में भारत में मलेरिया इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की मांग दुनिया में बढ़ गयी है। कोरोना मरीजों के लिए कारगर माने जा रहे मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर भरा सरकार ने 25 मार्च को रोक लगाने की घोषणा की थी। वहीं अब मोदी सरकार ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर एक बड़ा कदम उठाया है और मलेरिया रोधी दवा की आपूर्ति पर आंशिक तौर पर प्रतिबन्ध हटा दिया है।
विदेश मंत्रालय ने इस बारे में मंगलवार को जानकारी दी। विदेश मंत्रालय के अनुसार कोरोना महामारी के मानवीय पहलुओं के मद्देनजर, यह निर्णय लिया गया है कि भारत हमारे सभी पड़ोसी देशों के लिए उचित मात्रा में पेरासिटामोल और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का लाइसेंस देगा जो हमारी क्षमताओं पर निर्भर हैं। मंत्रालय ने यह भी कहा कि हम इन आवश्यक दवाओं की आपूर्ति कुछ अन्य देशों को भी करेंगे जो विशेष रूप से महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इसलिए हम इस संबंध में किसी तरह की अटकलों या इस मामले का राजनीतिकरण नहीं करना चाहते हैं।
बता दें कि सरकार ने मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन के निर्यात पर पिछले दिनों पाबंदी और सख्त कर दी थी तथा विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) की इकाइयों को भी रोक के दायरे में शामिल कर दिया गया था। सरकार देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण परिस्थिति बिगड़ने की आशंकाओं को देखते हुए ये रोक लगाई थी ताकि देश में जरूरी दवाओं की कमी नहीं हो।
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गौरतलब है कि अमेरिका में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) का कहर लगातार जारी है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अमेरिका में बढ़ रहे कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा भेजने का अनुरोध किया था। जिसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि “हम जितनी मदद कर पाएंगे उतनी करेंगे।”
वहीं मंगलवार को ट्रम्प ने मलेरिया की ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ दवाई ना देने पर भारत को कड़े परिणाम भुगतने की चेतावनी दी और कहा कि निजी अनुरोध के बाद भी भारत का दवाई ना देना उनके लिए चौंकाने वाला होगा क्योंकि अमेरिका का भारत के साथ अच्छे संबंध हैं।