देश में पर्यावरण के बिगड़ते हालात से बचाव को लेकर सख्त हुई राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी)। महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दों पर जानकारी संकलित करने और अनुपालन में आने वाली देरी को दूर करने के लिए योजना बनाने की सख्त आवश्यकता पर गौर करते हुए कि सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को 31 अक्टूबर तक जिला पर्यावरण योजनाओं (डीईपी) को पूरा करने का निर्देश दिया।
हरित अधिकरण ने कहा कि पर्यावरण अधिदेश का अनुपालन सुनिश्चित करना राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों का संवैधानिक दायित्व है, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण जीवन के अधिकार का हिस्सा है। यह जानकर दुख होता है कि सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने इस मामले को उतनी गंभीरता से नहीं लिया, जितना लेने की जरूरत थी।
एनजीटी ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव व्यापक जनहित, नागरिकों की सुरक्षा तथा स्वास्थ्य के लिए और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाने के लिए कानून के शासन के लिए इस विषय पर उचित ध्यान देंगे ।’’
एनजीटी के प्रमुख न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि डीईपी में प्रत्येक शहर, कस्बे और गांव को कवर करने वाले प्रत्येक पर्यावरणीय मुद्दे के आंकड़े हो सकते हैं और वे निर्धारित मानदंडों के अनुपालन में आ रहे अंतर को भी दिखा सकते हैं।
पीठ ने कहा,‘‘डीईपी को विभिन्न जिलों में नोडल अधिकारी से मिली जानकारी के आधार पर कार्य पूरे करने के लिए समय निर्धारित करना चाहिए तथा अधिकारियों को काम सौंपना चाहिए और इसके लिए बजट भी मुहैया कराना चाहिए। वृक्षारोपण जैसे उपचारात्मक उपायों पर जनभागीदारी की गुंजाइश है।
डीईपी में विभिन्न स्तरों पर समीक्षों के लिए तंत्र भी हो सकता है। जिला मजिस्ट्रेट तदनुसार माह में कम से कम एक बार विभिन्न लक्ष्यों पर प्रगति की समीक्षा करके कार्य योजनाओं को क्रियान्वित कर सकते हैं।’’ अधिकरण ने कहा कि इसके तहत सभी राज्य, डीईपी को मजबूत करें और अपनी-अपनी राज्य पर्यावरण योजनाएं तैयार करें तथा उसके अपनी ‘वेबसाइट’ पर साझा करें ।